शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन से लौटते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबसे पहले पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को फोन किया। यह फोन कल ही जारी किया गया था, जैसे ही वे दिल्ली एयरपोर्ट पर पहुंचे। इस कॉल में पीएम मोदी ने पंजाब में आई भीषण बारिश और बाढ़ की स्थिति पर चर्चा की और केंद्र सरकार की पूरी मदद का भरोसा दिलाया। प्रदेश में भारी बारिश ने तबाही मचा दी है—सतलुज, ब्यास, रावी और अन्य नदियों के उफान से 12 जिलों में बाढ़ की स्थिति खराब है।
अब तक 29 लोगों की मौत, 2.56 लाख से अधिक लोग प्रभावित, और 3 लाख एकड़ से ऊपर खेती-खातुन बर्बाद हो चुकी है। पीएम मोदी ने इस पूरे हालात का संज्ञान लेते हुए मान को आश्वस्त किया कि बचाव और राहत कार्यों में केंद्र पूर्ण सहयोग करेगा। सिर्फ वादा नहीं, बल्कि केंद्र सक्रिय कदम भी उठा चुका है—NDRF, SDRF, फोर्सेज और राज्य एजेंसियों को बचाव कार्यों में लगाया गया है।
राहत अभियान में मिलकर मदद
PM की फोन कॉल के बाद जल्द ही एक “उच्च स्तरीय बैठक” बुलाने की तैयारी कर रही है, जिसमें पंजाब, हिमाचल और जम्मू-कश्मीर की फील्ड स्थिति, राहत योजनाएँ और लंबी अवधि की तैयारियाँ शामिल होंगी। मुख्यमंत्री मान पहले ही केंद्र से ₹60,000 करोड़ की अवरुद्ध सहायता राशि तत्काल जारी करने की मांग कर चुके थे। पीएम मोदी के फोन ने इस मांग को राजनीतिक नज़रिया से आगे बढ़कर, राहत की भावना से जोड़ा है—जो पंजाब सरकार के मनोबल में मजबूती और जनता में भरोसा भी जगाता है।
हाल—फसल से लेकर जनता तक
विशेषज्ञ रिपोर्टों से यह स्पष्ट है कि पंजाब में लगभग 3 लाख एकड़ भूमि बाढ़ के पानी में डूब चुकी है। इसके साथ ही प्रभावित गांवों, सड़क मार्गों, और संचार नेटवर्क को भी भारी क्षति पहुंची है। राहत शिविरों में हजारों लोग स्थानांतरित किए जा चुके हैं, और बचाव अभियान तेजी से चल रहा है। इस कदम ने केंद्र-राज्य संबंधों को एक नई ऊँचाई दी—जहां सिर्फ वादा नहीं बल्कि साथ में काम करने का भरोसा और रणनीतिक व्यावहारिकता भी दिखी।





