हरियाणा में यमुना, घग्गर और टांगरी नदियों का जलस्तर खतरनाक रूप से बढ़ गया है। अंबाला, कुरुक्षेत्र, कैथल, यमुनानगर, करनाल, पानीपत, सोनीपत, हिसार और जींद सहित कई जिलों में लाखों एकड़ कृषि भूमि जलमग्न हो गई है। धान, गन्ना जैसी महत्वपूर्ण फसलों का भारी नुकसान हुआ है। लोग अब बची-खुची जमीन का हिसाब भी दे नहीं पा रहे। कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कैथल से प्रेस वार्ता के दौरान राज्य सरकार और मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को कसा तंज, कहा कि जनता त्राहिमाम कर रही है लेकिन सरकार हंसी-मजाक में मशगूल है।
रणदीप सिंह सुरजेवाला ने सीधे पूछा कि जब पानी बह रहा था, तब प्रशासन ने अलर्ट क्यों नहीं जारी किया और बचाव-कार्य क्यों नहीं किया? सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि पिछले दस सालों में तटबंध मजबूत नहीं किए गए और नदियों व नालों की सफाई नहीं हुई। हथनीकुंड बांध से पानी छोड़ने की जानकारी पहले थी, लेकिन इसके बावजूद अधिकारियों ने अलर्ट जारी नहीं किया, जिससे बाढ़ का प्रभाव अधिक हुआ।
व्यापक तबाही और प्रभावित आंकड़े
कैथल के गुहला-चीका क्षेत्र में घग्गर का तटबंध टूटने से छह गांव बाढ़ की चपेट में आए। राठी के आसपास के क्षेत्र में बाढ़ के कारण एनएच-1 (राष्ट्रीय मार्ग) पर दो फीट पानी जमा हो गया, जिससे 60 गांवों का संपर्क कट गया। सुरजेवाला ने राज्य सरकार से मांग की कि प्रभावित किसानों को ५०,००० रुपये प्रति एकड़ का मुआवजा तुरंत दिया जाए। इसके अलावा, बाढ़ पीड़ितों के लिए राहत शिविरों में बेहतर सुविधाएं सुनिश्चित हों।
केंद्र से विशेष पैकेज की गुहार
उन्होंने केंद्र सरकार से भी अपील की कि हरियाणा के लिए एक विशेष बाढ़ राहत पैकेज की घोषणा की जाए, ताकि प्रभावित लोग दोबारा खड़े हो सकें। हरियाणा में आई यह प्राकृतिक आपदा सिर्फ एक जल संकट नहीं, बल्कि प्रशासनिक उदासीनता का उदाहरण भी है। सुरजेवाला ने न केवल बाढ़ की मार पर सवाल उठाए, बल्कि पीड़ितों के लिए ठोस राहत की मांग भी की है। अब यह देखना होगा कि सरकार कितनी जल्दी इस संकट से जूझ रही जनता के लिए कारगर कदम उठाती है।





