कैथल में सड़क सुरक्षा को लेकर एक प्रेरणादायक दृश्य देखने को मिला, जब स्कूली बच्चों ने ट्रैफिक पुलिस और जिला प्रशासन के साथ मिलकर सड़क सुरक्षा के नियमों के प्रति लोगों को जागरूक करने की जिम्मेदारी उठाई। यह विशेष अभियान एक सामान्य जागरूकता कार्यक्रम नहीं, बल्कि जन-जागरूकता का ऐसा प्रयास था, जिसमें भविष्य की पीढ़ी ने आज की जिम्मेदारी को समझते हुए समाज के नाम एक संदेश दिया, “सड़क पर सुरक्षा सबसे पहले।”
दी गई ट्रैफिक नियमों की जानकारी
इस अभियान की शुरुआत स्थानीय स्कूलों में हुए ट्रैफिक जागरूकता सत्रों से हुई। ट्रैफिक पुलिस अधिकारियों ने बच्चों को सरल भाषा में सड़क सुरक्षा के महत्व और नियमों के पालन की आवश्यकता समझाई। बच्चों को सिखाया गया कि दोपहिया वाहन चलाते समय हेलमेट पहनना अनिवार्य, कार के सभी यात्रियों के लिए सीट बेल्ट लगाना जरूरी, वाहन चलाते समय ध्यान मोबाइल का प्रयोग न करना और इससे यात्री का मन भटकाना दुर्घटना को न्योता देना है। दस्तावेज साथ रखना जैसे कि लाइसेंस, रजिस्ट्रेशन, बीमा जरूरी कागजात साथ रखना के बारे में जानकारी दी गई। इन बातों को न केवल भाषण के माध्यम से, बल्कि कहानियों, उदाहरणों और खेलों के जरिए भी बच्चों को समझाया गया, ताकि वे इसे गंभीरता से लें और घर में भी अपने परिवार को इसका महत्व समझाएं।
रैली के माध्यम से दिया सड़क सुरक्षा का संदेश
शिक्षा सत्र के बाद, कैथल की सड़कों पर बच्चों ने एक जागरूकता रैली निकाली। स्कूल यूनिफॉर्म में सजे बच्चे हाथों में तख्तियां और बैनर लेकर निकले, जिन पर रंग-बिरंगे अक्षरों में लिखे थे। जिसमें “हेलमेट पहनो, जिंदगी बचाओ!”, “सीट बेल्ट लगाओ, सुरक्षित रहो!”, “मोबाइल छोड़ो, सड़क पर ध्यान दो!”, “ट्रैफिक नियम पालन करना, सबकी जिम्मेदारी है!” यह रैली न केवल लोगों के लिए एक दृश्य संदेश थी, बल्कि समाज को यह भी दिखाया कि जब बच्चे नियमों की बात कर सकते हैं, तो बड़े क्यों नहीं?
बच्चों से मिली समाज को प्रेरणा
इस अभियान ने यह सिद्ध किया कि युवा पीढ़ी सामाजिक बदलाव की अहम कड़ी हो सकती है। ट्रैफिक पुलिस का मानना है कि बच्चे जल्दी सीखते हैं और अपनी बातों से घर और मोहल्ले में भी प्रभाव डाल सकते हैं। वे बदलाव के वाहक बन सकते हैं, बशर्ते उन्हें सही दिशा दी जाए। रैली के दौरान सड़कों के दोनों ओर खड़े लोगों ने उत्साह से बच्चों को प्रोत्साहित किया। कई लोगों ने माना कि बच्चों को देखकर उन्हें खुद भी अपनी लापरवाही पर शर्म आई और उन्होंने नियमों के पालन का संकल्प लिया।
प्रशासन और ट्रैफिक पुलिस का उद्देश्य
कैथल ट्रैफिक पुलिस और जिला प्रशासन ने साफ कर दिया है कि उनका उद्देश्य केवल नियम बताना नहीं, बल्कि लोगों को सड़क सुरक्षा का महत्व समझाना और व्यवहार में परिवर्तन लाना है। अधिकारियों का कहना है कि इस तरह के अभियान भविष्य में भी नियमित रूप से आयोजित किए जाएंगे ताकि जागरूकता निरंतर बनी रहे। ये कार्यक्रम एक सकारात्मक सामाजिक पहल के रूप में सामने आया, जहां बच्चे शिक्षार्थी ही नहीं बल्कि शिक्षक बनकर सामने आए और उन्होंने समाज को सड़क सुरक्षा का पाठ पढ़ाया। ये नियमों का पालन केवल जुर्माने से बचने के लिए नहीं, बल्कि जीवन बचाने के लिए किया जाता है।





