हरियाणा में बेटियों के जन्म को लेकर एक सकारात्मक तस्वीर उभरकर सामने आई है। राज्य सरकार के आंकड़ों के अनुसार, 1 जनवरी से 28 जुलाई 2025 तक का औसत लिंगानुपात 905 दर्ज किया गया है, जो पिछले साल की समान अवधि में 899 था। यह सुधार राज्य सरकार द्वारा लगातार चलाए गए जागरूकता अभियान, सख्त निगरानी और कानूनी कार्रवाई का परिणाम माना जा रहा है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री आरती सिंह राव के निर्देश पर आयोजित राज्य टास्क फोर्स (STF) की बैठक में इन आंकड़ों की समीक्षा की गई। बैठक की अध्यक्षता अतिरिक्त मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) सुधीर राजपाल ने की। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि इस रफ्तार को और आगे बढ़ाने के लिए सभी स्तरों पर सतर्कता और सक्रियता बनाए रखी जाए।
अवैध गर्भपात करने वालों पर कड़ी कार्रवाई
बैठक में अवैध गर्भपात की घटनाओं को रोकने के लिए सख्त निर्देश दिए गए। यह तय किया गया कि अवैध तरीके से गर्भपात करने वाले डॉक्टरों और क्लीनिकों के खिलाफ कठोर कदम उठाए जाएंगे। यदि कोई चिकित्सक दोषी पाया जाता है तो उसका लाइसेंस रद्द किया जाएगा और आयुष्मान भारत जैसी सरकारी योजनाओं से बाहर कर दिया जाएगा। इसके साथ ही D&C प्रक्रिया की आड़ में चल रहे अवैध गर्भपात केंद्रों को चिह्नित कर सील करने के निर्देश भी दिए गए। 12 सप्ताह से अधिक गर्भवती महिलाओं के मामलों की निगरानी बढ़ाई गई है, विशेष रूप से तब जब उनके पहले से एक या अधिक बेटियां हों। ऐसी स्थितियों में रिवर्स ट्रैकिंग की जा रही है और 10 मामलों में FIR दर्ज की गई है।
कमजोर प्रदर्शन करने वाले जिलों पर नजर
जहां एक ओर राज्य के 15 जिलों में लिंगानुपात में सकारात्मक परिवर्तन देखा गया है, वहीं कुछ जिले अंबाला, भिवानी, चरखी दादरी, पलवल और सिरसा अपेक्षित प्रदर्शन नहीं कर पाए। इस पर सख्त कदम उठाते हुए संबंधित जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को कार्यमुक्त कर दिया गया है और पड़ोसी जिलों के अधिकारियों को अतिरिक्त जिम्मेदारी दी गई है। इसके अलावा पीएनडीटी अधिनियम के तहत जिम्मेदार नोडल अधिकारियों को चार्जशीट किया गया है और उनकी जगह नए अधिकारियों की तैनाती का निर्णय लिया गया है। राज्य सरकार ने जनता से भी सहयोग की अपील की है। यदि कोई नागरिक अवैध लिंग परीक्षण या गर्भपात से जुड़ी सटीक जानकारी उपलब्ध कराता है, तो उसे ₹1 लाख तक का नकद इनाम दिया जाएगा।
निगरानी टीम और पुरस्कार योजना
सरकार ने आगे की रणनीति पर भी काम शुरू कर दिया है। बैठक में निर्णय लिया गया कि राज्य में एक विशेष निगरानी दस्ते (स्कवॉड) का गठन किया जाएगा, जिसमें वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे। यह स्कवॉड उन जिलों में जाकर काम करेगा, जहां सुधार की गति धीमी है, और वहां के अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश देगा। जो जिले बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं उन्हें पुरस्कार देकर सम्मानित किया जाएगा, ताकि यह दूसरे जिलों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सके। साथ ही, इन जिलों की सफल योजनाओं को राज्यभर में लागू करने पर भी विचार हो रहा है। बैठक में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के मिशन निदेशक रिपुदमन सिंह ढिल्लों सहित स्वास्थ्य विभाग, महिला एवं बाल विकास, शिक्षा, प्रशासनिक सेवा समेत विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। सभी ने इस मुहिम को एक सामूहिक प्रयास के रूप में आगे बढ़ाने का संकल्प लिया।
लिंगानुपात में हो रहा सुधार
हरियाणा, जो कभी देश में लिंगानुपात के मामले में सबसे पिछड़ा राज्य माना जाता था, अब सुधार की दिशा में मजबूत कदम उठा रहा है। सरकार की सख्त कार्रवाई, सकारात्मक नीति, और जनभागीदारी इस बदलाव का आधार बन रही हैं। यदि इसी प्रकार प्रशासनिक इच्छाशक्ति और जनसमर्थन बना रहा, तो आने वाले वर्षों में हरियाणा में बेटियों को समान अधिकार और सम्मान मिलने का सपना पूरी तरह साकार हो सकेगा।





