भोपाल
अगर आप गरीब मजदूर हैं तो जरूरी नहीं कि आपको आज इस विकट स्थिति में घर जाने के लिए गाड़ी या कोई साधन मिल ही जाएगा। लेकिन हां, अगर आप साहब के कुत्ते हैं तो आपको गाड़ी मिल सकती है और वो भी सरकारी। बाकायदा पूरी एक गाड़ी में आप आराम फरमाते हुए जा सकते हैं। लेकिन शायद इस सुविधा के लिए आपका इंसान नहीं कुत्ता होना जरूरी होगा, और कुत्ता भी किसी बड़े साहब का। यह हम नहीं बल्कि यह दृश्य कह रहा है जिसमें एक सरकारी वाहन में यह विदेशी नस्ल के कुत्ता बड़े आराम से हॉस्पिटल ले जाया जा रहा है। यह कुत्ता भोपाल नगर निगम कमिश्नर आईएएस विजय दत्ता का है जिसे इलाज या यूं कहें रूटीन चेकअप के लिए वेटनरी हॉस्पिटल ले जाया जा रहा है। जबकि इस तरह सरकारी वाहन का उपयोग बिल्कुल अनुचित है। खासकर हालिया स्थिति में तो सरकारी वाहन का इस तरह का इस्तेमाल बेहद ही आपत्तिजनक है। लेकिन कौन पूछता है साहब, कुत्ता अधिकारी का जो है।
वहीं दूसरी तरफ जिंदगी की आस में चलते चलते हम मौत के कितने करीब आ गए हैं ये पता ही नहीं है, कुछ ऐसा ही हाल इन दिनों पूरे देश में नज़र आ रहा है। कोरोना का कहर अब तक न जाने कितने गरीब मजदूरों की जान ले चुका है। मौत के मुँह में समा चुके इन मजदूरों गरीबों की मौत कोरोना से कम बल्कि पैदल चलते चलते या फिर एक्सीडेंट में अधिक हुई है। रोज ऐसी हृदयविदारक खबरें विचलित कर देती हैं। हजारों लाखों मजदूर भरी गर्मी में अपने परिवार, छोटे छोटे बच्चों, बुजुर्गों के साथ सड़क पर पैदल चलते हुए नज़र आ रहे है। और सिलसिला लगातार पिछले कई दिनों से जारी है। सरकार प्रशासन से आस लगाए बैठे इन मज़दूरो की नम आंखे इस उम्मीद में है कि घर जाने का कोई तो इंतज़ाम कर दो साहब । मगर सभी को यह इसका फायदा नही मिला। सरकार ने निर्देश दे दिए और अधिकारियों को तैनात कर दिया लेकिन देखिए अधिकारी इन निर्देशों का किस तरह पालन कर रहे है।
यहां तो अधिकारियों को अपने कुत्तों की परवाह उन बेबस मजदूरों से ज्यादा है। कहते ही हैं न कि किस्मत मेहरबान होनी चाहिए, फिर इंसान क्या जानवरों के दिन भी फिरते नज़र आते हैं। हम जो तस्वीर दिखा रहे हैं वो इसी बात को साबित करती है। नगर निगम कमिश्नर आईएएस विजय दत्ता का कुत्ता, जो नगर निगम की गाड़ी पर सवार होकर वेटनरी जांच के लिये जा रहा है। इस सरकारी गाड़ी पर कुत्ते की सवारी कुछ ऐसी शान की है कि सारी सड़कें सूनी हैं, लेकिन साहब के कुत्ते के लिये विशेष रूप से वाहन बुलाया गया है। आप खुद देखिये और सोचिये कि जिस देश में कुत्ते के लिये इस आपात स्थिति में भी विशेष रूप से सरकारी गाड़ी बुलाई जा सकती है, वहां गरीब मजदूरों की सुनवाई किस तरह होगी।