भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के IAS अफसरों को निजी कंपनी को हवाई पट्टी सौंपने महंगा पड़ गया है। लोकायुक्त पुलिस (Lokayukta Police) ने 4 आईएएस अफसरों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। जबलपुर हाईकोर्ट (Jabalpur High Court) के आदेश पर लोकायुक्त (Lokayukta) द्वारा मामले की आगे की जांच की जा रही है।
मामला उज्जैन (Ujjain) के देवास रोड पर प्रदेश सरकार की दताना-मताना हवाई पट्टी का है। लोकायुक्त पुलिस ने हवाई पट्टी को पैसा वसूले बिना ही निजी कंपनी को सौंपने के मामले में IAS संकेत भोंडवे, मनीष सिंह, शशांक मिश्र और नीरज मंडलोई पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (Prevention of corruption act) के तहत मुकदमा कायम किया है।हाईकोर्ट के आदेश पर यह कार्रवाई की गई है।
हैरानी की बात तो ये है कि चारों IAS अफसर उज्जैन के कलेक्टर (Ujjain Collector) भी रहे हैं।इन अफसरों एक IAS संकेत भोंडवे अभी केन्द्र में डेपुटेशन पर हैं, वे केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी (Union Minister Nitin Gadkari) के OSD हैं।वही मनीष सिंह इंदौर के कलेक्टर (Indore Collector) हैं, शशांक मिश्र ग्रामीण विकास निगम के सीईओ हैं और नीरज मंडलोई पीडब्ल्यूडी के प्रमुख सचिव हैं। इससे पहले हाईकोर्ट के आदेश पर 5 आईएएस और 3 एग्जीक्यूटिव इंजीनियरों पर मामला दर्ज हो चुका है। कुल 20 लोगों को आरोपी बनाया जा चुका है।
अबतक इन अफसरों पर हो चुका है मामला दर्ज
बीते साल जांच के बाद लोकायुक्त पुलिस ने नवंबर (November) 2019 में लोकायुक्त के सेवनिवृत्त डीजीपी अरुण गुर्टु, उज्जैन के पांच पूर्व कलेक्टर शिवशेखर शुक्ला, अजातशत्रु श्रीवास्तव, डॉ. एम गीता, बीएम शर्मा और कवींद्र कियावत पर केस दर्ज किया था। इसके अलावा यश एयरवेज के यशराज टोंग्या, भरत टोंग्या, दिलीप रावल, शिरीश दलाल, वीरेंद्र कुमार जैन, शिवरमण, दुष्यंतलाल के नाम शामिल किए गए थे। अधिकारियों सहित कुल 16 के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 व आइपीसी की धारा 120 बी के तहत केस दर्ज किया गया था।उज्जैन के पूर्व कलेक्टर और वर्तमान में भोपाल के संभागायुक्त कवींद्र कियावत ने केस खारिज करने की याचिका लगाई थी। मगर कोर्ट ने 21 सितंबर 2020 को याचिका खारिज करते हुए लोकायुक्त को 9 महीने में पड़ताल पूरी करने के निर्देश दिए थे।
ये है पूरा मामला
दरअसल, मामला 2006 का है। उज्जैन में देवास रोड पर मध्य प्रदेश सरकार की दताना-मताना हवाई पट्टी है, जिसे सरकार ने यश एयर लिमिटेड और सेंटॉर एविएशन एकेडमी इंदौर को लीज पर दिया था। राज्य सरकार और कंपनी के बीच 7 साल के लिए अनुबंध हुआ था, जिसके तहत यश एयरवेज को नाइट पार्किंग के लिए 5 हजार 700 किलो वजनी विमानों के लिए 100 रुपए चुकाने थे। ज्यादा वजनी विमानों के लिए यह चार्ज 200 रुपए था। वही हवाई पट्टी का किराया वसूलने, यहां खड़े होने वाले विमानों से शुल्क वसूलने सहित रखरखाव की जिम्मेदारी तत्कालीन कलेक्टरों की थी, लेकिन कंपनी ने यह पैसा सरकार को नहीं दिया । इधर, वर्ष 2013 के बाद हवाई पट्टी का संचालन भी बंद कर दिया था। इस दौरान यश एयरवेज ने हवाई पट्टी का रखरखाव भी नहीं किया था,जिसके बाद यह कार्रवाई की गई।