भोपाल| मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार ने 20-50 के फॉर्मूले के तहत अक्षम और भ्रष्ट कर्मचारी अधिकारियों को नौकरी से बाहर करने शुरुआत कर दी है| स्कूल शिक्षा विभाग ने बड़ा फैसला लेते हुए खराब प्रदर्शन करने वाले 16 शिक्षकों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी है। विभाग की इस कार्रवाई से जहां शिक्षकों में हड़कंप मच गया है, वहीं अन्य विभागों में इस एक्शन से सुगबुगाहट शुरू हो गई है|
सामान्य प्रशासन विभाग सभी विभागों से पहली ही ऐसे कर्मियों की जानकारी मांगी चुका है, ऐसे में अन्य विभागों में ऐसी ही कार्रवाई देखने को मिल सकती है| वहीं शिक्षा विभाग की कार्रवाई का विरोध भी शुरू हो गया है, राज्य शिक्षक संघ, अध्यापक शिक्षक संघ ने सरकार के इस फैसले का विरोध किया है| संगठनों का कहना है कि प्रदेश में सात साल से भर्ती नहीं हुई है, सरकार जमीन हालात भी समझे| संगठनों ने गैरशैक्षणिक कार्यों में ड्यूटी लगाने का भी विरोध किया है, साथ ही सभी विभागों और विधायकों पर भी 20-50 का फॉर्मूला लागू करने की मांग की है|
दरअसल, अध्यापन में लापरवाही बरतने वाले 16 शिक्षकों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी गई है। मध्यप्रदेश सिविल सर्विसेज (पेंशन) रूल्स के तहत 20/50 के फार्मूले पर सेवानिवृत्ति दी गई है, जिसमें प्रावधान है कि 20 साल की सेवा या 50 वर्ष की आयु पूरी होने पर अनिवार्य सेवानिवृत्त किया जा सकता है। स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी ने जानकारी दी कि शिक्षा कार्य में लापरवाही बरतने एवं 30 प्रतिशत से कम रिजल्ट लाने वाले शिक्षकों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी गई है। उन्होंने कहा कि अध्यापन में लापरवाही बरतने वाले शिक्षकों पर सेवानिवृत्ति की कार्यवाही करने वाला मध्यप्रदेश प्रथम राज्य है। ऐसे शिक्षक, जो या तो पढ़ाना नहीं चाहते या पढ़ाने में अक्षम हैं, उन्हें बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने की छूट नहीं दी जाएगी। तीस प्रतिशत से कम रिजल्ट लाने वाले लगभग 6 हजार शिक्षकों की परीक्षा ली गई थी। परीक्षा में फेल शिक्षकों को 2 माह की ट्रेनिंग दी गई। तत्पश्चात पुन: परीक्षा ली गई। इसमें भी फेल होने वाले शिक्षकों को 20/50 के आधार पर अनिवार्य सेवानिवृत्त किया गया।