शनिवार को सुप्रीम कोर्ट ने सालों पुराने अयोध्या मामले में अपना ऐतिहासिक फैसला देते हुए कहा है कि राम जन्मभूमि में भगवान राम का भव्य मंदिर बनाया जाए और मुस्लिम पक्षकार को अन्य जगह पर 5 एकड़ जमीन दी जाए। वही सीजेआई ने माना कि 1934 और 1992 में मस्जिद क्षतिग्रस्त करना गैर-कानूनी था। इस पर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने सवाल खड़े किए है। दिग्विजय ने कहा है कि क्या बाबरी मस्जिद तोड़ने वालों को सजा मिलेगी।
दरअसल, दिग्विजय ने ट्वीट करके सवाल खड़े किए है।दिग्विजय ने कहा है कि राम जन्म भूमि के निर्णय का सभी ने सम्मान किया हम आभारी हैं। कॉंग्रेस ने हमेशा से यही कहा था हर विवाद का हल संविधान द्वारा स्थापित क़ानून व नियमों के दायरे में ही खोजना चाहिये। विध्वंस और हिंसा का रास्ता किसी के हित में नहीं है। वही उन्होंने अगले ट्वीट मे उन्होंने लिखा है कि माननीय उच्चतम न्यायालय ने राम जन्म भूमि फ़ैसले में बाबरी मस्जिद को तोड़ने के कृत्य को ग़ैर क़ानूनी अपराध माना है। क्या दोषियों को सज़ा मिल पायेगी? देखते हैं। २७ साल हो गये।
बता दे कि सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा है कि 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद गिराना कानून का उल्लंघन था। जस्टिस गोगोई ने कहा कि यह विध्वंस 14 अगस्त 1989 के इलाहाबाद हाई कोर्ट के यथास्थिति के आदेश व 15 नवंबर 1991 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा उसे कायम रखने के बावजूद किया गया। इसलिए इसकी क्षतिपूर्ति होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस क्षतिपूर्ति के रूप में केंद्र या उप्र सरकार अयोध्या में मस्जिद निर्माण के लिए ‘खास जगह उपलब्ध कराए। सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत उसे मिले विशेष अधिकार का इस्तेमाल करते हुए यह आदेश दिया है।ज्ञात हो कि विवादित स्थल पर मुगल शासक बाबर ने 16 वीं सदी में कब्जा कर वहां बाबरी मस्जिद बनवाई थी। इसे 6 दिसंबर 1992 को हिंदू कारसेवकों ने ढहा दिया था।