भोपाल। देश के सबसे बड़े आर्थिक घोटाले के रूप में पहचान बनाती जा रहे ई टेंडरिंग घोटाले में रविवार को आईटी विभाग के ओएसडी नंदकुमार ब्रह्मे की गिरफ्तारी हुई है। मध्य प्रदेश इलेक्ट्रॉनिक विकास निगम के ओएसडी नंद कुमार के खिलाफ एमपी ब्रेकिंग के पास चौंकाने वाली जानकारी है। दरअसल 2012 में, जब मध्यप्रदेश में ई टेंडरिंग व्यवस्था को नया स्वरूप दिया जा रहा था आईटी विभाग के प्रमुख हरी रंजन राव, जो उस समय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सचिव थे।
नंदकुमार ब्रह्मे को यह जिम्मेदारी दी थी कि वह नए टेंडर का स्वरूप बनाएं जिसके आधार पर किसी कंपनी को ई टेंडरिंग की व्यवस्था सौंपी जा सके। नंदकुमार ब्रह्मे के साथ उस समय विशाल बांगड़ जो उस समय सीनियर कंसलटेंट स्टेट इलेक्ट्रॉनिक मिशन थे और वर्तमान में प्रदेश की आईटी टीम के प्रमुख हैं और विपुल गुप्ता जो उस समय प्रोजेक्ट ही मिशन टीम के कंसलटेंट से और वर्तमान में लेबर डिपार्टमेंट इंदौर में पदस्थ हैं, भी शामिल थे। यह टेंडर जून 2012 में बनाने की जिम्मेदारी दी गई थी और नंद कुमार इन दोनों व्यक्तियों के साथ टेंडर आईटी विभाग को बनाकर दे दिया। हैरत की बात यह रही कि यह टेंडर जस का तस स्वीकार हो गया और पिछले 7 सालों से मध्यप्रदेश में लगातार जारी है। इसी के आधार पर मध्य प्रदेश की ई टेन्डरिन्ग व्यवस्था चल रही है। अब जब इस मामले में नंद कुमार की गिरफ्तारी हो चुकी है उम्मीद की जानी चाहिए कि आने वाले समय में इस पूरे षड्यंत्र के कर्ताधर्ता भी कानून के फंदे में नजर आएंगे।