Sat, Dec 27, 2025

विपक्षी गठबंधन INDIA द्वारा बैन पत्रकारों ने छेड़ी जंग, सुशांत सिन्हा ने लिखा ‘INDI’ गठबंधन के ’CHINDI’ पत्रकार, अमन चोपड़ा ने की इमरजेंसी से तुलना

Written by:Shruty Kushwaha
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विपक्षी गठबंधन INDIA द्वारा बैन पत्रकारों ने छेड़ी जंग, सुशांत सिन्हा ने लिखा ‘INDI’ गठबंधन के ’CHINDI’ पत्रकार, अमन चोपड़ा ने की इमरजेंसी से तुलना

Journalists wage war on ban by opposition alliance INDIA : विपक्ष का झगड़ा सत्ताधारी बीजेपी के साथ तो है ही, लेकिन अब उसने कई पत्रकारों के खिलाफ भी एक जंग छेड़ दी है। गुरुवार को एक लिस्ट जारी कर विपक्षी दलों के INDIA गठबंधन ने ऐसे 14 पत्रकार और एंकरों का बहिष्कार करने की घोषणा की, जिनपर उन्होने सत्ता पक्ष का हिमायती होने का आरोप लगाया है। ये लिस्ट जारी होने के बाद इसमें शामिल पत्रकार भी सामने आ गए और अब लड़ाई दोनों ओर से छिड़ चुकी है। वहीं न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन (एनबीडीए) ने एक पत्र जारी करते हुए इसे ‘खतरनाक मिसाल’ बताया है और इंडिया गठबंधन से ये निर्णय वापस लेने का आग्रह किया है।

सुशांत सिन्हा ने बताया ‘CHINDI’ पत्रकार

लिस्ट में शामिल पत्रकार सुशांत सिन्हा ने ट्वीट करते हुए I.N.D.I. Alliance को INDI पुकारते हुए लिखा है कि अबसे गठबंधन के पत्रकार का नाम चिंदी (CHINDI) होगा। उन्होने लिखा है कि “क्योंकि I.N.D.I.A में आखिरी A alliance यानि गठबंधन के लिए है इसलिए आज से बुलाते वक्त ध्यान रखें- गठबंधन का नाम- INDI गठबंधन के पत्रकार- CHINDI”।

वहीं लिस्ट में दूसरे नंबर पर काबिज अमन चोपड़ा ने तो इसपर बाकायदा एक शो करते हुए इसकी तुलना ‘इमरजेंसी’ से कर दी है। उन्होने स्क्रीन पर लिखा है कि 1975 में इमरजेंसी लगाई थी और 2023 में बायकॉट कर दिया गया। उन्होने कहा कि आपातकाल के दौरान जैसे मीडिया पर सेंसरशिप लागू कर दी गई थी, ठीक वैसे ही अब इंडिया गठबंधन ने उन पत्रकारों को बायकॉट करने का फैसला लिया है जो सवाल पूछने की हिम्मत रखते हैं। उन्होने ये भी कहा कि “वैसे हामिद अंसारी के interview के बाद से ही मैं इस बॉयकॉट वाले बैज को गर्व से लेकर चल रहा हूँ लेकिन सवाल पूछना अभी तक नहीं छोड़ा है। बहिष्कार एक पत्रकार के लिए सबसे बड़ा बैज ऑफ़ ऑनर होता है। इस सम्मान के लिए धन्यवाद।”

अमिश देवगन, नविका कुमार ने भी उठाई आवाज़

वहीं अमिश देवगन कहते हैं कि “Committed Judiciary की बात करने वाले Committed Media चाहतें है। यह सेना प्रमुख को गुंडा कहतें है, सनातन धर्म को धोखा कहतें हैं और तो और सनातन को समाप्त ही करना चाहतें है। यह भारत के वोटर को श्राप देतें हैं, यह श्री राम के पैदा होने का सबूत माँगते हैं, यह Surgical Strike का सबूत मांगते हैं पर सवालों से भागते हैं #JaiHind।” वहीं रुबिका लियाकत ने ट्वीट करले हुए लिखा है कि “इसे बैन करना नहीं, इसे डरना कहते हैं। इसे पत्रकारों का बहिष्कार नहीं सवालों से भागना कहते हैं आपको आदत है हाँ में हाँ मिलाने वालों की। वो न कल किया था न आगे करूँगी। बैन लगाने की हिम्मत उन नेताओं पर लगाइए जो मुहब्बत की दुकान में कूट कूट कर भरी नफ़रत परोस रहे हैं। सवाल बेलौस थे, हैं और आगे भी रहेंगे। जय हिंद।” वहीं नविका कुमार ने भी इसे लेकर एक शो करते हुए ‘मोहब्बत की दुकान’ वाली बात पर तंज कसते हुए उन्हें सच करने के लिए बायकॉट किया गया है।

NBDA ने पत्र जारी कर निर्णय वापस लेने का आग्रह किया

इसी के साथ न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन द्वारा इस मामले में एक पत्र भी जारी किया गया है और इसे एक ‘खतरनाक मिसाल’ बताते हुए ये निर्णय वापस लेने का आग्रह किया है। राहुल कंवल ने ये पत्र शेयर किया है जिसमें लिखा है कि  “News Broadcasters & Digital Association (NBDA) आई.एन.डी.आई.ए. द्वारा लिए गए निर्णय से बहुत दुखी और चिंतित है। मीडिया समिति कुछ पत्रकारों/एंकरों द्वारा आयोजित शो और कार्यक्रमों में अपने प्रतिनिधि नहीं भेजेगी। I.N.D.I.A द्वारा लिया गया निर्णय मीडिया समिति ने एक खतरनाक मिसाल कायम की।”

“भारत की कुछ शीर्ष टीवी समाचार हस्तियों द्वारा संचालित टीवी समाचार शो में भाग लेने से विपक्षी गठबंधन के प्रतिनिधियों पर प्रतिबंध लोकतंत्र के लोकाचार के खिलाफ है। यह असहिष्णुता का प्रतीक है और प्रेस की स्वतंत्रता को ख़तरे में डालता है। विपक्षी गठबंधन बहुलवाद और स्वतंत्र प्रेस का चैंपियन होने का दावा करता है, लेकिन इसका निर्णय लोकतंत्र के सबसे बुनियादी सिद्धांत – खुले तौर पर विचारों और विचारों को व्यक्त करने का अपरिहार्य अधिकार – के प्रति कठोर उपेक्षा को दर्शाता है।  कुछ पत्रकारों/एंकरों का बहिष्कार देश को आपातकाल के दौर में ले जाता है, जब प्रेस पर ताला लगा दिया गया था और स्वतंत्र राय और आवाज़ों को कुचल दिया गया था। एनबीडीए ने विपक्षी गठबंधन से कुछ पत्रकारों और एंकरों के बहिष्कार के अपने फैसले को वापस लेने का आग्रह किया है क्योंकि इस तरह का निर्णय पत्रकारों को डराने-धमकाने और मीडिया की बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को दबाने जैसा होगा।”