दरअसल, आज बुधवार को केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास, पंचायती राज तथा खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री और क्षेत्रीय सांसद नरेंद्र सिंह तोमर (Union Minister Narendra Singh Tomar) और मध्य प्रदेश के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री ओमप्रकाश सखलेचा (Omprakash Sakhlecha) की पहल पर मुरैना में फर्नीचर क्लस्टर की स्थापना के सिलसिले में कृषि भवन, नई दिल्ली (Agriculture Office, New Delhi) में संबंधित अधिकारियों और निवेशकों के बीच बैठक हुई। इस बैठक और प्रजेन्टेशन के दौरान फर्नीचर उद्योग से जुड़े निवेशकों ने संतोष जताया और निवेश के लिए उत्साहित भी दिखे।
केंद्रीय मंत्री तोमर ने इसी तारतम्य में अधिकारियों से चर्चा कर प्रस्ताव दिया है कि मुरैना में फर्नीचर उद्योग विकसित करने की संभावनाएँ तलाशी जाएं। मुरैना की लकड़ियों से जिले में ही फर्नीचर बनाया जाएगा तो यहां उद्योग विकसित होने के साथ बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों को रोजगार (Youth Employment )मिलेगा, साथ ही जिले की अर्थव्यवस्था (Economy) भी बेहतर हो सकेगी। मुरैना में फर्नीचर बनने से MP सहित आसपास के जिलों में इसका विक्रय हो सकेगा, जिससे सभी स्थानों के लोगों को काफी सहूलियत व फायदा होगा। उनकी पहल पर मुरैना के जिलाधिकारियों तथा राज्य सरकार के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग के अधिकारियों ने एक प्रजेन्टेशन दिया।
बैठक में सखलेचा ने कहा कि राज्य शासन की ओर से इस पहल पर पूरा सहयोग किया जाएगा, वहीं फर्नीचर उद्योग से जुड़े निवेशकों ने भी काफी उत्साह दिखाते हुए कहा कि वर्तमान हालातों को देखते हुए केंद्रीय मंत्री तोमर ने तत्परतापूर्वक इस दिशा में पहल की है। राज्य सरकार की नीतियाँ भी निवेश को प्रोत्साहित करने वाली हैं। निवेशकों द्वारा इस संबंध में शीघ्र ही मुरैना का दौरा कर आगे की रूपरेखा (Employment Future Plans)तय की जाएगी।
बता दे कि मुरैना जिले में आरक्षित वन क्षेत्र 50,669 हेक्टेयर तथा संरक्षित वन 26,847 हेक्टेयर हैं, जो ज्यादातर सबलगढ़ व जौरा ब्लाक में है। जिले में मुख्यतः सागौन, शीशम, नीम, पीपल, बांस, साल, बबूल, हर्रा, पलाश, तेंदू के वृक्ष के वन है। इनमें से मुख्यतः शीशम, सागौन, साल की लकड़ियां भी फर्नीचर में उपयोग होती हैं, वहीं फर्नीचर में इस्तेमाल होने वाली लकड़ियों में देवदार व कठल भी हैं, जो मध्यप्रदेश में बहुतायत में पाई जाती हैं और फर्नीचर उद्योग के विकास में बहुत उपयोगी है।
गौरतलब है कि वर्तमान में मुरैना जिले में उत्पादित लकड़ियों का अधिकांश हिस्सा उत्तर प्रदेश व राजस्थान के फर्नीचर निर्माताओं द्वारा उपयोग में लाया जाता है। वर्तमान में फर्नीचर की काफी मांग है, लेकिन इसे बनाने वाले उद्योग व कारीगरों की कमी महसूस होती है,ऐसे में अगर मुरैना में फर्नीचर क्लस्टर की तैयारी की जाती है तो रोजगार (Morena Employement) के बड़े अवसर खुलने की संभावना है।