भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा राजस्थान में पुरानी पेंशन बहाल करने की घोषणा के बाद सभी राज्यों में हलचल तेज हो गई है।झारखंड-छत्तीसगढ़ हो या फिर मध्य प्रदेश सभी राज्यों में पुरानी पेंशन लागू करने की मांग उठ रही है। मध्य प्रदेश के कर्मचारियों ने तो शिवराज सरकार को चेतावनी दी है कि अगर बजट सत्र में पुरानी पेंशन बहाल नहीं की जाती है तो 13 मार्च को बड़ा आंदोलन होगा।प्रदेश में दो लाख 87 हजार शिक्षक और 48 हजार स्थयीकर्मी पुरानी पेंशन बहाली को लेकर संघर्षरत हैं।इधर, कांग्रेस के साथ साथ अब बीजेपी विधायकों ने भी इस मांग को उठाना शुरू कर दिया है।
MPTET 2022: 5 मार्च से शिक्षक पात्रता परीक्षा, इस आधार पर होगी नियुक्ति, जानें नियम
राजस्थान में पुरानी पेंशन बहाल करने के ऐलान के बाद मध्यप्रदेश में भी कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और बजट सत्र में इसे लागू करने की मांग की है। ऐसा ना करने पर कर्मचारियों ने 13 मार्च को बड़े आंदोलन की चेतावनी दी है।कर्मचारियों कि मांग है कि 1 जनवरी 2005 या इसके बाद नियुक्त कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन स्कीम लागू हो। नई पेंशन स्कीम में कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद सिर्फ हर महीने 800 से डेढ़ हजार रुपए ही पेंशन मिल रही है।वही पूर्व सीएम कमलनाथ, कांग्रेस से राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा, पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह, कांग्रेस विधायक लक्ष्मण सिंह, पूर्व मंत्री पीसी शर्मा और बीजेपी विधायक नारायण त्रिपाठी भी ट्वीटर और पत्र के माध्यम से सीएम शिवराज सिंह चौहान से आग्रह कर चुके है।
यह भी पढ़े.,, Government Job 2022: यहां 535 पदों पर भर्ती, लास्ट डेट नजदीक, जल्द करें अप्लाई
इतना ही नहीं पेंशन बहाली को लेकर पूर्व मंत्री पीसी शर्मा का कहना है कि एमपी विधानसभा में आरपार की लड़ाई होगी। उन्होंने विधानसभा में एक संकल्प भी लगाया है।विधानसभा के बजट सत्र में कांग्रेस विधायक राज्य सरकार पर कर्मचारी पेंशन बहाली को लेकर दबाव बनाएंगे। तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के सचिव उमाशंकर तिवारी ने सरकार (MP Government) से आग्रह किया है कि पुरानी पेंशन व्यवस्था को लागू किया जाना चाहिए ताकि कर्मचारियों का भविष्य सुरक्षित हो सके। उनका कहना है कि नई पेंशन व्यवस्था लागू होने के बाद मध्य प्रदेश के लगभग तीन लाख कर्मचारी पुरानी पेंशन व्यवस्था के लाभ से वंचित हो गए हैं और इस तरह से कर्मचारी- अधिकारियों में दो अलग-अलग पेंशन लाभांशी हो गए हैं जो संविधानिक अधिकारों का उल्लंघन है।संभावना जताई जा रही है कि इस टेंशन को कम करने के लिए सरकार विधानसभा सत्र के दौरान पुरानी पेंशन बहाली की घोषणा कर सकती है।
ये है दोनों पेंशनों में अंतर
दरअसल, वर्तमान में अंशदायी पेंशन के तहत कर्मचारियों के मूल वेतन से 10% राशि काटी जाती है, जिसमें 14 % सरकार मिलाती है। ब्याज सहित कुल जमा राशि का 40 से 60 % हिस्सा कर्मचारी को सेवानिवृत्ति पर एकमुश्त देते हैं और शेष राशि से पेंशन मिलती है, जो वर्तमान में पांच 500 से 3 हजार रुपये तक है। लेकिन पुरानी पेंशन स्कीम अगर रिटायरमेंट के दौरान जिस का वेतन 50000 रू मासिक होगा उसको करीब 25000 रू मासिक पेंशन आजीवन मिलेगी। पेंशनर की मृत्यु के बाद उसकी पत्नी को भी इसका लाभ मिलना था।वही हर साल दो बार महंगाई भत्ता बढ़ता है और पेंशनर की मौत होने पर उसकी पत्नी को परिवार पेंशन दी जाती है। पुरानी पेंशन बहाल होने से अधिकारियों और कर्मचारियों को अपने हिस्से की 10 प्रतिशत की बचत होगी और लाइफ टाईम पेंशन के रूप में आधा वेतन मिलता रहेगा।