भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश के सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों को 34% महंगाई भत्ते का तो लाभ मिल गया, लेकिन पदोन्नति में आरक्षण (Reservation in Promotion) के लिए अभी और इंतजार करना पड़ेगा। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में ग्रीष्म अवकाश समाप्त होने के बाद 17 अगस्त को सुनवाई तय हुई थी, लेकिन अस्वस्थता के कारण अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल नहीं पहुंच पाए। अब अगली सुनवाई एक सितंबर को तय की गई है। संभावना है सितंबर में प्रदेश के लाखों कर्मचारियों का 6 सालों का इंतजार खत्म हो सकता है।
राज्य के कर्मचारियों और अधिकारियों के पदोन्नति में आरक्षण (MP Reservation in Promotion) पर 6 साल से रोक लगी है, भारतीय सेवा और राज्य सेवा के कुछ अधिकारियों सहित न्यायालय से फैसला लाने वालों को छोड़कर किसी को भी कर्मचारी-अधिकारी को प्रमोशन नहीं दिया गया है, जिसके चलते कर्मचारियों में नाराजगी बढ़ने लगी है।हालांकि आरक्षित और अनारक्षित पक्ष के कर्मचारी एमपी सरकार से कह चुके हैं कि प्रदेश में कोर्ट के निर्णय के अधीन ही पदोन्नति शुरू कर दी जाए, ताकि उन्हें नुकसान न हो, बावजूद इसके अबतक कोई फैसला नहीं हो पाया है।
हाल ही में 17 अगस्त को सुनवाई तय हुई थी, लेकिन अस्वस्थता के कारण अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल नहीं पहुंच पाए। उन्होंने अगली तारीख मांगी थी और कोर्ट ने अब एक सितंबर को सुनवाई तय की है। अगर इस पर फैसला आता है तो मई 2016 में लगाई गई पदोन्नति पर रोक हटेगी और कर्मचारियों को लाभ मिलेगा। इधर, सुप्रीम कोर्ट ने पदोन्नति में आरक्षण मामले में मुद्दे तय कर दिए हैं, जिन्हें आधार बनाकर केंद्र और राज्यों के संदर्भ में फैसला लिया जाना है।
बता दे कि मध्य प्रदेश में पिछले 6 साल यानि 2016 से कर्मचारियों की पदोन्नति में आरक्षण का मामला लंबित है।इस अवधि में 70000 से अधिक कर्मचारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं और करीब 36000 को पदोन्नति नहीं मिली है। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 30 अप्रैल 2016 को ‘मप्र लोक सेवा (पदोन्न्ति) नियम 2002″ को खारिज कर दिया था, जिसके बाद राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने मई 2016 में यथास्थिति (स्टेटस-को) रखने के निर्देश दिए हैं, तब से पदोन्नति पर रोक लगी है।