भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव (MP Panchayat election) को लेकर बड़ी अपडेट सामने आई है। दरअसल मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव मार्च महीने के बाद कराए जा सकते हैं। इसके लिए लगातार कार्यक्रम में संशोधन किया जा रहा है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग (Panchayat and Rural Development Department) द्वारा परिसीमन (delimitation) का कार्यक्रम संशोधित कर दिया गया है। जिसके बाद पंचायतों के परिसीमन का काम 16 मार्च तक पूरा करना अनिवार्य होगा। वही जनपद और जिला पंचायत का परिसीमन 10 मार्च तक किया जाएगा।
दरअसल इससे पहले परिसीमन की प्रक्रिया 21 मार्च तक पूरी करनी होगी। कोरोना संक्रमण (corona pandemic) के कारण परिसीमन की प्रक्रिया पूरी तरह से प्रभावित हो चुकी है। वहीं 21 मार्च को पंचायत राज संचनालय जिलों से प्रतिवेदन प्राप्त कर उसे राज्य शासन को भेजेगा। जिसमें आरक्षण की प्रक्रिया सम्मिलित किया जाएगा। इस मामले में विभाग के प्रमुख सचिव उमाकांत उमराव का कहना है कि पंचायत के पुनर्गठन में भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए कार्यक्रम को संशोधित किया गया है।
जिसमें नगर निकाय में सम्मिलित ग्राम व ग्राम पंचायत सिंचाई परियोजना अरे पंचायत को मिलाकर पंचायत का पुनर्गठन किया जाना है। कि फरवरी को पंचायतों का गठन कर वार्ड का निर्धारण किया जाएगा। जब भी 16 मार्च को अंतिम अधिसूचना को राजपत्र में प्रकाशित करने की तैयारी की गई है। इसके लिए सभी जनपद और जिला पंचायत के निर्वाचन क्षेत्र के निर्धारण का प्रारंभिक प्रकाशन 22 फरवरी को किसी भी कीमत पर किया जाना है।
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वही सभी जिलों को 17 जनवरी तक प्रारंभिक प्रकाशन पूरा कर लिया गया है जबकि 23 फरवरी को प्रक्रिया पूरी होनी थी लेकिन कोरोना संक्रमण और तीसरी लहर की संभावना सहित दावा-आपत्ति और सुझाव की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई। जिसके बाद ग्रामीण विकास विभाग ने कार्यक्रम संशोधित किया। अभी 11 फरवरी तक दावे आपत्ति और सुझाव लिए जाएंगे जबकि 16 मार्च को सभी प्रक्रिया पूरी करने की पंचायत के गठन की अधिसूचना जारी की जाएगी।
वहीं विभाग के प्रमुख सचिव का कहना है कि आपत्ति और सुझाव का निराकरण करने 10 मार्च को अधिसूचना जारी की जाएगी 21 मार्च को पंचायत राज संचालक सभी जिलों से प्रतिवेदन प्राप्त करेंगे। उसे राज्य शासन को भेजेंगे। जिसके आधार पर आरक्षण की प्रक्रिया पूरी होगी। वही राज्य निर्वाचन आयोग को इसकी जानकारी दी जाएगी। इसके बाद ही मध्य प्रदेश में चुनाव के कार्यक्रम घोषित किए जा सकेंगे।
राज निर्वाचन आयोग ने चुनाव कार्यक्रम भी घोषित कर दिए थे। जिसमें रोटेशन का पालन नहीं होने पर अध्यादेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी वहीं हाईकोर्ट में चुनाव प्रक्रिया को रोकने से इनकार कर दिया था। जिसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया था। कोर्ट ने OBC के साथ आरक्षित वर्ग को अनारक्षित में सूचित करने के आदेश दिए थे। जिसके बाद से सरकार द्वारा अध्यादेश वापस ले लिया गया था। वहीं चुनाव की प्रक्रिया को निरस्त कर दिया गया था। अब एक बार फिर से मध्य प्रदेश में पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज्य संशोधन अध्यादेश के माध्यम से पंचायतों का परिसीमन कराया जा रहा है।