पिता का फोटो लेकर कमलनाथ के पास जाएंगे दीपक जोशी, बीजेपी में रहने की संभावनाएं लगभग समाप्त!

Gaurav Sharma
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Dipak Joshi : बीजेपी के वरिष्ठ नेता और प्रदेश के पूर्व मंत्री दीपक जोशी कमलनाथ का साथ थामने जा रहे हैं। दीपक पिछले काफी लंबे समय से पार्टी में अपनी उपेक्षा से नाराज हैं और पार्टी फोरम पर कई बार इसे जाहिर भी कर चुके हैं। इसके बावजूद कोई रिस्पांस नहीं मिलने की वजह से अबे यह कदम उठाने जा रहे हैं।

कांग्रेस का दामन थामेंगे जोशी

बीजेपी के संत की उपाधि से मशहूर रहे स्वर्गीय कैलाश जोशी के पुत्र दीपक जोशी अब कांग्रेस का दामन थामने जा रहे हैं। इस बात की पूरी संभावना है कि दीपक देवास से 6 मई को भोपाल आएंगे। वहां से सीधे उस शासकीय निवास पर जाएंगे जो उनके स्वर्गीय पिता को अलाॅट हुआ था और वहां से वह अपने पिता का चित्र लेकर सीधे कमलनाथ के बंगले पर पहुंचेंगे। उसके बाद उनकी कांग्रेस पार्टी में शामिल होने की औपचारिक घोषणा की जाएगी।

दीपक का राजनैतिक सफर और कठिनाइयां

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रहे स्वर्गीय कैलाश जोशी के पुत्र दीपक जोशी 2003, 2008 और 2013 में. विधानसभा सदस्य रहे। 2003 मे वे देवास की विधानसभा बागली से चुने गए। उसके बाद बागली सीट आरक्षित होने के कारण 2008 से वे हाटपिपलिया विधानसभा क्षेत्र से लगातार दो बार विधानसभा सदस्य रहे लेकिन 2018 में उन्हें कांग्रेस के प्रत्याशी मनोज चौधरी ने चुनाव हरा दिया। सरकार कांग्रेस की बनी लेकिन 15 महीने बाद सत्ता परिवर्तन हुआ और मनोज चौधरी भी अपनी विधायकी को दांव पर लगाकर सिंधिया के साथ बीजेपी में शामिल हो गए। अब चुनावी वादा था तो मनोज चौधरी को टिकट दिया गया और वह चुनाव जीत गए। ऐसे में दीपक जोशी का राजनीतिक नेपथ्य में जाना राजनीतिक मजबूरी थी लेकिन दीपक की मानें तो इससे ज्यादा बड़ी बात यह हुई कि उन्हें संगठन और सत्ता दोनों स्तर पर दरकिनार किया जाने लगा। उनके कार्यकर्ताओं को लगातार प्रताड़ित भी किया जाने लगा और इसके चलते दीपक जोशी ने कई बार भोपाल में आकर सत्ता और संगठन स्तर पर शिकायत भी की। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई और अंततः मजबूरी में अब दीपक जोशी यह कदम उठाने जा रहे हैं।

बीजेपी में रहने की संभावनाएं खत्म

हालांकि मंगलवार की शाम को बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने यह दावा किया था कि यह सब पार्टी के भीतर के मामले हैं, कैलाश जोशी की छवि बीजेपी में संत की रही है और स्वयं दीपक जोशी भी एक अच्छे कार्यकर्ता रहे हैं इसीलिए उन्हें मना लिया जाएगा। लेकिन एमपीब्रेकिंग से खास बातचीत में कमलनाथ के साथ मुलाकात की बात को दीपक जोशी ने कंफर्म कर दिया है और अब बीजेपी में उनके रहने की संभावनाएं लगभग समाप्त हो गई है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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