भोपाल। मध्य प्रदेश में बीजेपी से बगावत कर दो विधायकों ने कांग्रेस के पक्ष में विधानसभा में दंड विधि विधेयक के समय वोट किया था| जिसके बाद से पार्टी की अंतरकलाह सबके सामने खुलकर आ गई है। बीजेपी के कई विधायकों और संगठन नेताओं के बीच खराब तालमेल होने की भी अटकलें हैं। बीजेपी अब अपने विधायकों को बचाने के प्रयास में जुट गई है। हालांकि, अभी तक पार्टी की ओर से कांग्रेस को वोट करने वाले विधायक नारायण त्रिपाठी और शरद कोल के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया है। लेकिन वह अपने 106 विधायकों पर नजर बनाए हुए है। पार्टी को अशंका है कि कुछ विधायकों को सत्ता पक्ष की ओर से आफर मिल सकता है। जिससे उनके पार्टी छोड़ने के आसार हैं। ऐ��े हालातों को देखते हुए पार्टी ने रणनीति बनाई है कि बागी विधायकों से वन टू वन चर्चा की जाएगी।
बीजेपी के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा एक अगस्त को मुखातिब होंगे। वह दिल्ली से ही वीडियो कांफ्रेंसिग के जरिए विधायकों से चर्चा करेंगे। सूत्रों का कहना है कि वह प्रदेश दौरे पर भी आ सकते हैं। हालांकि, इस बात की अभी पुष्टि नहीं की जा सकती क्योंकि, संसद का सत्र सात अगस्त तक रहेगा। लेकिन नड्डा प्रदेश संगठन में पनप रही नाराज़गी को दूर करने का प्रयास करेंगे। सदस्यता समीक्षा की पहली बैठक रविवार को आयोजित की गई, जिसे भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह ने संबोधित किया। 1 अगस्त को सभी पदाधिकारियों, जिला और मंडल प्रभारियों और विधायकों की एक भव्य बैठक बुलाई जा रही है, जिसमें 600 से अधिक नेताओं के शामिल होने की संभावना है। बैठक के दौरान, राज्य नेतृत्व विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर विधायकों सहित सभी सदस्यों से बात करेगा, सुहास भगत ने इसकी पुष्टि की।
भगत ने आगे कहा कि जेपी नड्डा के प्रदेश दौरे की पुष्टि नहीं की जा सकती है। वह वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए दो विधायकों से चर्चा करेंगे। यही नहीं पार्टी ने उप चुनाव के लए भी रणनीति बनाना शुरू कर दी है। पार्टी 106 विधायकों के साथ बात करने के लिए तैयार है और सत्तारूढ़ कांग्रेस का मुकाबला करने की योजना बना रही है यदि झाबुआ, मैहर और ब्योहारी में उपचुनाव होते हैं। नई दिल्ली में पार्टी नेतृत्व को अभी तक दो अलग-अलग विधायकों – नारायण त्रिपाठी (मैहर) और शरद कोल (ब्योहारी ) पर फैसला लेना है, उपचुनावों से पहले किसी निष्कर्ष पर पहुंचना है।