भोपाल| विधानसभा में बहुमत से आंकड़े से दूर रहने वाली भाजपा का सरकार नहीं बना पाने का दुःख अक्सर सामने आता रहता है| हालही में झाबुआ सीट भी हाथ से चल गई और अब एक और सीट पर खतरा मंडरा रहा है| पवई से बीजेपी विधायक प्रहलाद लोधी की विधानसभा सदस्यता पर तलवार लटकी है| राजधानी की विशेष अदालत ने प्रहलाद लोधी को बलवे के मामले में दो साल की जेल की सजा सुनाई है। इसके बाद सियासी गलियारों में चर्चा शुरू हो गई है क्या विधायक की सदस्य्ता ख़त्म मानी जाएगी| अगर ऐसा हुआ तो भाजपा को बड़ा झटका लग सकता है|
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक प्रह्लाद लोधी को सजा के बाद विधानसभा सचिवालय ने फैसले की कॉपी मांगी है। रिपोर्ट के अध्ययन के बाद विधानसभा सचिवालय जल्द ही कोई फैसला ले सकता है। वहीं इस मामले में मंत्री पीसी शर्मा का बयान सामने आया है, उनका कहना है 2 साल की सजा पर कानून में सदस्यता जाने का प्रावधान है| वहीं पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा “2013 और 2019 के सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों का अध्ययन करा रहे हैं। अगर निर्णय अनुकूल नहीं लगे तो फिर हाईकोर्ट भी जा सकते हैं।”
इस मामले में हुई सजा
राजधानी की विशेष अदालत ने पवई से भाजपा विधायक प्रहलाद लोधी सहित 12 लोगों को बलवे के मामले में दो साल की जेल और साढ़े तीन हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है। लोधी पर आरोप था कि उन्होंने रेत खनन के खिलाफ कार्रवाई करने वाले रैपुरा तहसीलदार को बीच रोड पर रोककर उसके साथ मारपीट करते हुए गाली-गलौज की थी। गुरूवार को सांसदाें और विधायकोंे के मामलों की सुनवाई कर रहें विशेष न्यायाधीश सुरेश सिंह ने यह फैसला सुनाया है। लोधी ने तहसीलदार की जीप रोककर मारपीट की थी
यह हैं नियम
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अऩुसार अगर किसी जनप्रतिनिधि को दो साल या उससे अधिक की सजा होती है तो सदस्यता खत्म हो जाएगी। साथ ही वह अगले छह साल तक चुनाव नहीं लड़ सकता है। यह फैसला जस्टिस एके पटनायक और जस्टिस एसजे मुखोपाध्याय की पीठ ने जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8(4) को असंवैधानिक करार देते हुए कहा था कि दोषी ठहराए जाने की तारीख से ही अयोग्यता प्रभावी होती है। क्योंकि इसी धारा के तहत आपराधिक रिकॉर्ड वाले जनप्रतिनिधियों को अयोग्यता से संरक्षण हासिल है।