नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। हाल ही में देश के कई राज्यों ने 10वीं और 12वीं बोर्ड की फिजिकल परीक्षाएं रद्द करने की याचिका सुप्रीम कोर्ट में दर्ज की थी। जिस पर सुप्रीम कोर्ट बुधवार को सुनवाई करेगा। बता दें कि करीब 15 राज्यों के विद्यार्थियों ने 10वीं और 12वीं के छात्रों बोर्ड परीक्षाओं के लिए एक वैकल्पिक मूल्यांकन की मांग अदालत के सामने रखी है।
पिछले साल सीबीएसई (CBSE ), आईसीएसई (ICSE) और अन्य राज्य बोर्डों ने कोरोना महामारी को मद्देनजर रखते हुए, वैकल्पिक मूल्यांकन मापदंडों के आधार पर छात्रों का मूल्यांकन करने का निर्णय लिया था। जिसके तहत छात्रों का मूल्यांकन आंतरिक परीक्षा और बोर्ड द्वारा तैयार किए गए एक मानक के आधार पर किया गया था। इस साल कई छात्र वैसे ही मापदंडों और मूल्यांकन की मांग कर रहे हैं। कई राज्यों द्वारा सीबीएसई और आईसीएसई समेत अन्य राज्य बोर्ड 10वीं और 12वीं बोर्ड की फिजिकल परीक्षाओं को रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दर्ज करवाई है, जिसकी सुनवाई बुधवार को करने के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार हो चुका है।
कोरोना महामारी के दौरान परीक्षा देना सही नहीं
कोरना महामारी को कारण बताते हुए सीबीएसई, आईसीएसई और अन्य राज्य बोर्डों ने ऑफलाइन परीक्षाओं को रद्द करने की मांग सुप्रीम कोर्ट के सामने रखी है। बता दें कि इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस ए .एम खानविलकर की पीठ बुधवार को करेगी। जानकारी के लिए बता दें कि सीबीएसई ने कक्षा 10वीं और 12वीं की परीक्षाओं की तारीख का ऐलान कर दिया है, बोर्ड परीक्षाएं अप्रैल में आयोजित होंगी। तो वही आईसीसी ने कक्षा 10वीं और 12वीं की परीक्षा अप्रैल के अंतिम सप्ताह में आयोजित करने का निर्णय लिया है।
परीक्षा की तारीख की घोषणा होने के बाद से ही कई राज्यों में फिजिकल एग्जाम्स को कैंसिल करने की मांग की जा रही है। कई अभिभावकों और छात्रों का मानना है कि, कोरोना महामारी के दौरान ऑफलाइन परीक्षा देना किसी खतरे से कम नहीं है। तो वहीं बीते महीनों क्लासेस ऑनलाइन ही आयोजित की जा रही थी, जिसके बाद ऑफलाइन परीक्षा लेना एक गलत निर्णय भी हो सकता है