भोपाल। मध्य प्रदेश की 22 सीटों पर कांग्रेस ने उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर दिया है, लेकिन अब तक ग्वालियर, गुना-शिवपुरी और इंदौर सीट पर पेंच फंसा हुआ है। सिंधियाके नाम पर हो रही देरी से उनके दूसरे क्षेत्र से चुनाव लड़ने की चर्चा को हवा दे रही है। हालांकि, सिंधिया गुना सीट पर लगातार तैयारी में जुटे हैं उनकी टीम प्रचार से लेकर बूथ का जिम्मा संभाले हुए है। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस सिंधिया को भी भाजपा के किसी कद्दावर नेता के सामने उतारना चाहती है। वहीं, ग्वालियर सीट से बीजेपी ने शेजवलकर को टिकट दिया है। उनका सामना करने के लिए दावेदारों ने दिल्ली में डेरा डाल रखा है। बताया जा रहा है सिंधिया ग्वालियर के साथ उनकी सीट का भी फैसला करेंगे।
दरअसल, बीजेपी ने केंद्रीय मंत्री और ग्वालियर से वर्तमान सांसद नरेंद्र सिंह तोमर को मुरैना से टिकट दिया है। वहीं, ग्वालिर से पार्टी ने वर्तमान महापौर को टिकट दिया है। राजनीति के जानकारों का कहना है कि कांग्रेस के लिए इस बार ग्वालियर सीट से जीतने की प्रबल संभावना है। इसलिए कांग्रेस कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है। ग्वालियर के लिए अब कांग्रेस में दावेदारों की संख्या बढ़ गई है, क्योंकि कांग्रेसियों को अब यह लगने लगा है कि वह भाजपा के प्रत्याशी विवेक नारायण शेजवलकर को आसानी से पटकनी दे सकते हैं, लेकिन ऐसा चुनावी समय में संभव नहीं दिख रहा, क्योंकि शेजलवकर संघ से जुड़े हुए है ओर आरएसएस के दिशा निर्देशन में भाजपा के सभी लोगों को काम करना होगा।
इनका नाम रेस में शामिल
कांग्रेस की तरफ से प्रबल दावेदार के तौर पर अशोक सिंह का नाम लिया जा रहा है, लेकिन इसके पीछे ही ज्ञानेंद्र शर्मा, मोहन सिंह राठोर, देवेंद्र तोमर भी लगे हुए हैं। इसके साथ ही मदन कुशवाह तथा प्रयाग गुर्जर भी दावेदारी के लिए जोर लगाकर दिल्ली में डटे हुए हैं। सिंधिया समर्थक भले ही अशोक सिंह को दूसरे खैमे का मानते हों, लेकिन सिंह हर ग्रुप के साथ सामंजस्य बनाकर चलने वाले रहे है। वहीं ज्ञानेन्द्र शर्मा, मोहन सिंह राठोर एवं देवेन्द्र तोमर पक्के सिंधिया समर्थक माने जाते हैं। देवेंद्र तोमर प्रदेश सरकार के मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर के बड़े भाई हैं, वह पहले मुरैना से दावेदारी कर रहे थे, लेकिन वहां से जैसे ही भाजपा के नरेंद्र सिंह तोमर का नाम फाइनल हुआ वैसे ही उन्होंने अपनी नजर ग्वालियर पर टिका दी। ग्वालियर को लेकर जब पेंच फंसा तो मामला अब सिंधिया की हां पर टिक गया है अब सिंधिया के ऊपर है कि वह किसके नाम पर अपनी सहमति देते हैं।