MP: खाली खज़ाने की किसानों पर मार, केंद्रीय बजट के बाद तय होगी रणनीति

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भोपाल। मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार को भारी आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है। सरकारी खज़ाने की हालत नाजुक बनी हुई है। फरवरी में सरकार ने लोकसभा चुनाव तक खर्च चलाने के लिए लेखानुदान पेश किया था। इसमें राज्य सरकार ने 89 हज़ार करोड़ रुपए उन परियोजनाओँ के लिए आवंटित किए थे जो पहले से चल रही हैं। सरकार ने धन की कमी को देखते हुए विभागों को वेतन वितरण के लिए केवल धन आवंटित किया था। 

लोकसभा चुनाव के बाद अब प्रदेश से आचार संहिता समाप्त हो चुकी है। ऐसे में अब विकासकार्यों को निरंतर करते रहने के लिए विभिन्न विभाग वित्त विभाग से बजट की मांग कर रहे हैं। जो विभाग बुनियादी ढाँचे से संबंधित हैं और सामाजिक क्षेत्र की योजनाएँ चलाते हैं, वे अब धन की माँग कर रहे हैं। इनमें मुख्य रूप से तकनीकी शिक्षा विभाग, उच्च शिक्षा, अनुसूचित जनजाति, श्रम, कृषि, सहकारिता, सार्वजनिक कार्य, जल संसाधन, शहरी विकास और आवास शामिल हैं। इसके अलावा सरकार की महत्वपूर्ण ऋण माफी योजना के लिए भी सरकार को फंड की जरूरत है। वित्त विभाग वर्तमान में उन कार्यों के लिए धन जारी कर रहा है जो मुख्यमंत्री की प्राथमिकताओं में आते हैं। यह अन्य विभागों से बजट के बाद काम करवाने के लिए कह रहा है। 


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