जातिगत जनगणना पर मल्लिकार्जुन खड़गे ने लिखा पीएम मोदी को पत्र, दिए ये 3 अहम सुझाव

कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि जाति जनगणना जैसी किसी भी प्रक्रिया को, जो पिछड़ों, वंचितों और हाशिये पर खड़े लोगों को उनके अधिकार दिलाने का माध्यम बनता है, किसी भी रूप में विभाजनकारी नहीं माना जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि' हमारा महान राष्ट्र और हमारे विशाल हृदय लोग विपरीत परिस्थितियों में हमेशा एकजुट होकर खड़े हुए हैं। हाल ही में पहलगाम में हुए कायराना आतंकी हमलों के बाद हम सबने एकजुटता का परिचय दिया।'

Caste Census : जातिगत जनगणना को लेकर सियासी बहस एक बार फिर तेज हो गई है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखते हुए उनके द्वारा लिखे गए पुराने पत्र का जवाब न मिलने पर असंतोष जताया है। साथ ही केंद्र सरकार द्वारा जातिगत जनगणना को लेकर हाल ही में लिए गए फैसले को कांग्रेस की लंबे समय से चली आ रही मांग की स्वीकारोक्ति बताया है।

खड़गे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर साझा की गई पोस्ट में इस पत्र का उल्लेख करते हुए कहा कि ‘मैंने 16 अप्रैल 2023 को आपको पत्र लिखकर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा जातिगत जनगणना कराने की मांग आपके समक्ष रखी थी। अफ़सोस की बात है कि मुझे उस पत्र का कोई जवाब नहीं मिला। आज आप स्वयं स्वीकार कर रहे हैं कि यह मांग गहन सामाजिक न्याय और सामाजिक सशक्तिकरण के हित में है।’

मल्लिकार्जुन खड़गे ने लिखा पीएम मोदी को पत्र

पीएम मोदी ने हाल ही में घोषणा की थी कि अगली जनगणना में जाति को एक अलग श्रेणी के रूप में शामिल किया जाएगा। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस घोषणा को बिना स्पष्ट विवरण के बताया है। साथ ही उन्होंने इस संबंध में अपने तीन सुझाव दिए हैं और उनपर विचार करने का अनुरोध किया है।

1. जनगणना से सम्बंधित प्रश्नावली का डिजाइन अत्यंत महत्वपूर्ण है।केंद्रीय गृह मंत्रालय को जनगणना में इस्तेमाल किए जानेवाले प्रश्नावली और पूछे जानेवाले प्रश्नों के लिए तेलंगाना मॉडल का उपयोग करना चाहिए।

2. जातिगत जनगणना के जो भी नतीजे आएँ, यह स्पष्ट है कि अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए आरक्षण पर मनमाने ढंग से लगाई गई 50% की अधिकतम सीमा को संविधान संशोधन के माध्यम से हटाया जाना होगा।

3. अनुच्छेद 15(5) को भारतीय संविधान में 20 जनवरी 2006 से लागू किया गया था। इसके बाद इसे सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई। लंबे विचार-विमर्श के बाद, सर्वोच्च न्यायालय ने 29 जनवरी 2014 को इसे बरकरार रखा—यह फैसला 2014 के लोकसभा चुनाव के लिए आचार संहिता लागू होने से ठीक पहले आया। यह निजी शिक्षण संस्थानों में अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और ओबीसी के लिए आरक्षण का प्रावधान करता है। इसे क्रियान्वित किया जाना चाहिए।

मोदी सरकार का अहम निर्णय

बता दें कि मोदी की सरकार ने 30 अप्रैल को घोषणा की कि आगामी राष्ट्रीय जनगणना में जातिगत विवरण भी शामिल किया जाएगा। यह निर्णय केंद्रीय मंत्रिमंडल की राजनीतिक मामलों की समिति (CCPA) द्वारा लिया गया है। यह पहली बार है जब 1931 के बाद भारत में व्यापक जातिगत आंकड़े एकत्रित किए जाएंगे। इससे पहले अब तक सिर्फ अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों की गणना होती रही है। केंद्र सरकार का यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब बिहार और कर्नाटक जैसे राज्यों ने अपनी-अपनी जातिगत सर्वेक्षणों के परिणाम प्रकाशित किए हैं। विपक्षी दल लंबे समय से जातिगत जनगणना की मांग कर रहे हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इसे ‘गंभीर सामाजिक सुधार की दिशा में पहला कदम’ बताया है।


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Shruty Kushwaha

Shruty Kushwaha

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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