सूत्रों की माने तो प्रदेश के सागर और बुरहानपुर जिले में वन्य जीव अभ्यारण बनाए जा सकते हैं। हालांकि इसके लिए सागर वन मंडल के 25,814 हेक्टेयर क्षेत्र को चुना गया है। वहीं इन क्षेत्रों की परिधि में 88 गांव आने की वजह से अब खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसकी जिम्मेदारी ली है। दरअसल वन्य अभ्यारण के प्रस्तावित परिधि में आने वाले 88 गांव का जीवन यापन जंगल पर निर्भर है। जिसके बाद सीएम शिवराज सागर जाकर गांव के लोगों से वार्तालाप करेंगे और उनकी सहमति मिलने के बाद ही अभ्यारण के गठन की कार्यवाही शुरू की जाएगी।
मध्य प्रदेश अभीरक्षक, मुख्य वन्य प्राणी आलोक कुमार का कहना है कि सागर अभ्यारण के लिए सहमति दी जा चुकी है। कुछ अड़चनें है। जिसके बाद काम को पूरा किया जाएगा। इसके अलावा बुरहानपुर जिले में अभ्यारण के गठन के प्रस्ताव पर मध्य प्रदेश केंद्र से सहमति का इंतजार कर रहा है।
बता दे कि कई बार प्रस्तावित नए अभ्यारण के गठन से पहले ग्रामीणों की नाराजगी की वजह से वन्य अभ्यारण का काम ठंडे बस्ते में चला गया। इससे पहले कमलनाथ सरकार के दौरान छिंदवाड़ा में वन्य अभ्यारण के गठन पर निर्णय लिया गया था। जिसे ग्रामीणों की नाराजगी के बाद ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। इसके अलावा कमलनाथ सरकार के ही 1 मंत्री उमर सिंगार ने मध्य प्रदेश में 11 नए वन्य अभ्यारण के गठन का प्रस्ताव तैयार किया था। हालांकि सरकार गिर गई और प्रस्ताव ठंडे बस्ते में पहुंच गए।
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ज्ञात हो कि मध्य प्रदेश में लगातार बाघों की संख्या में वृद्धि देखी जा रही है। वर्ष 2010 से लेकर 2018 के बीच बाघों की संख्या 308 से बढ़कर 556 पहुंच गई है। इसके साथ ही कई अन्य वन्य प्राणी के अनुपात में भी वृद्धि देखी जा रही है। जिसके बाद जंगलों की जगह कम पड़ने के बाद वन्य अभ्यारण के गठन का निर्णय लिया गया है।
दरअसल प्रदेश में 2012 से 2019 के बीच सबसे ज्यादा बाघों की मौत हुई है और अकेले इसी साल राज्य में 36 बड़ी बाघों ने अपनी जान गंवाई है। प्रदेश में लगभग सभी रिजर्व में बाघों की मौत की बढ़ती संख्या न केवल ‘बाघ राज्य’ पर जोखिम डाल रही है बल्कि इसने वन विभागों के लिए और अधिक सुरक्षात्मक उपाय करने के लिए एक अलार्म भी है। .
मध्य प्रदेश ने अखिल भारतीय बाघ अनुमानित रिपोर्ट 2018 में ‘बाघ राज्य’ का दर्जा सिर्फ दो बड़ी बाघों के कारण कर्नाटक के 524 के अंतर 526 से MP ने जीता था। लेकिन राज्य ने 2012 और 2019 के बीच 200 से अधिक बाघों को खो दिया है, इसके बाद इसी अवधि के दौरान महाराष्ट्र में 141 और कर्नाटक में 123 बाघों को खो दिया है।
कान्हा टाइगर रिजर्व ने 2012 और 2019 के बीच 43 बाघों की मौत की सूचना दी है, जो देश में सबसे अधिक है। उमरिया जिलेमें स्थित एक अन्य प्रमुख बाघ अभयारण्य बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान में इसी अवधि में 38 बाघों की मौत की सूचना है।
संरक्षण प्राधिकरण की रिपोर्ट के मुताबिक पेंच राष्ट्रीय उद्यान या पेंच वन्यजीव अभयारण्य ने 17 बाघों को खो दिया है, जबकि होशंगाबाद जिले में सतपुड़ा टाइगर रिजर्व और सीधी जिले में संजय-दुबरी ने तीन और चार को खो दिया है। हालांकि, रिजर्व के अधिकारियों का मानना था कि बाघों की आबादी लगातार बढ़ रही है और मौतों के बावजूद यह कभी कम नहीं हुई।