छिंदवाड़ा में कफ सिरप से बच्चों की मौत के मामले पर कमलनाथ ने की सुप्रीम कोर्ट मॉनिटरिंग में SIT सहित 5 मांग, कहा- सड़क से सदन तक न्याय के लिए लड़ेंगे

पूर्व मुख्यमंत्री ने मध्यप्रदेश सरकार पर स्वास्थ्य व्यवस्था की गंभीर विफलता का आरोप लगाते हुए कहा कि यह सिर्फ नीतिगत चूक नहीं, बल्कि बच्चों की हत्या के समान है। उन्होंने कहा कि यह कोई प्रशासनिक त्रुटि श्रृंखला नहीं है जिसे कुछ विभागीय नोटिस से ढक लिया जा सके। यह उन गलत नीतियों और भ्रष्ट व्यवस्था का परिणाम है जिनमें जनता की जान की कोई कीमत ही नही बची है।

छिंदवाड़ा में ज़हरीले कफ सिरप से बच्चों की मौत की घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इस घटना पर गहरा दुख और आक्रोश व्यक्त करते हुए राज्य सरकार पर स्वास्थ्य व्यवस्था की विफलता का आरोप लगाया और कहा कि कांग्रेस इस मामले को सदन में उठाएगी। इसी के साथ उन्होंने इस मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट मॉनिटरिंग में स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम गठित करने, पीड़ित परिवारों को मुआवज़ा देने सहित पांच मांगें रखी हैं।

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कांग्रेस नेता ने कहा कि यह हमारे स्वास्थ्य-सम्बंधी सिस्टम, निगरानी तंत्र और जवाबदेही की जानलेवा विफलता का प्रमाण है। उन्होंने कहा कि समय रहते अगर सख्त कार्रवाई होती तो कई बच्चों की जान बच सकती थी। लेकिन सरकार ने बड़े मामलों पर आँखें बंद कर दीं और छोटी मछलियों को दबोचा गया। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार द्वारा अभी तक की गई कार्यवाही सिर्फ गुमराह करने की रणनीति है।

कमलनाथ ने गहरा दुख व्यक्त किया

कफ सिरप से बच्चों की जान जाना एक बड़ी विसंगति है। इस घटना ने सिर्फ मध्यप्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश को स्तब्ध कर दिया है। इस मामले पर कमलनाथ ने गहरा दुख ज़ाहिर करते हुए कहा है कि “मासूम बच्चों की मौत की हृदय विदारक ख़बरों ने पूरे प्रदेश को हिला दिया है। जिस छिंदवाड़ान को मैंने घर और परिवार की तरह सहेजा संभाला, आज उसी के आँगन में बच्चों की लाशें है। मन बहुत विचलित है, व्यथित है, द्रवित है, क्रोधित है…पीड़ित परिवारों की चीख इस सरकार से सवाल कर रही है।”

सरकार पर लगाए गंभीर आरोप

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि ज़हरीले कफ़ सिरप से बच्चों की मौत का आंकड़ा बढ़कर 16 हो चुका है। यह संख्या किसी आकस्मिक हादसे या प्राकृतिक आपदा का आँकड़ा नहीं है। यह हमारे स्वास्थ्य-सम्बंधी सिस्टम, निगरानी तंत्र और जवाबदेही की जानलेवा विफलता का प्रमाण है। उन्होंने आरोप लगाया कि इतनी बड़ी घटना होने के बावजूद सरकार के चेहरे पर शिकन तक नहीं दिखी। न तो किसी मंत्री का इस्तीफा, न ही बड़े और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कठोर कदम। उन्होंने सवाल किया क्या यही है जनता की सुरक्षा की परिभाषा है।

कमलनाथ ने की ये पाँच मांग

  1. एक स्वतंत्र, सुप्रीम कोर्ट मॉनिटरिंग के तहत SIT (स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम) गठित की जाए जो दवा निर्माता, सप्लाई चैन और संबंधित अधिकारियों के कर्तव्यों की जाँच करे।
  2. सभी संदिग्ध कफ़ सिरप का प्रदेशव्यापी तत्काल और मानकनिष्ठ परीक्षण करवाया जाए और दोषियों पर कठोर से कठोर कार्रवाई हो।
  3. जिन भी अधिकारियों की जिम्मेदारी लापरवाही से बच्चों की जान खतरे में डालने की रही, उनके खिलाफ पैनल-स्तरीय अनुशासनात्मक और आपराधिक जांच हो…केवल निचले स्तर पर दिखावटी कार्यवाही करने भर से काम नहीं चलेगा।
  4. प्रभावित परिवारों को मुआवज़ा, चिकित्सा और आजीविका सहायता तत्काल दी जाए तथा मृतकों के परिजनों को न्याय मिले।
  5. ऐसी दवाओं के व्यावसायिक पंजीकरण और विक्रय पर कड़ा नियंत्रण और पारदर्शिता लागू की जाए ताकि फिर कभी कोई परिवार इस दर्द से न गुज़रे।

कहा ‘कांग्रेस हर स्तर पर लड़ेगी न्याय की लड़ाई’

कमलनाथ ने कहा है कि इस मामले पर कांग्रेस चुप नहीं बैठेगी। उन्होंने कहा कि हम मरते बच्चों की इस कराह को सड़क से सदन तक उठाएँगे, न्याय के लिये अंतिम सांस तक लड़ेंगे, जवाबदेही के लिये और सिस्टम में बदलाव के लिये सड़कों पर उतरेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार समझ ले कि अब सिर्फ नारेबाज़ी, इवेंटबाजी और दिखावटी कार्रवाई काम नहीं आएंगी..हमें सच्ची जवाबदेही चाहिए।


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