कांग्रेस ने महिला सुरक्षा के मुद्दे पर मोदी सरकार को घेरा, मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा ‘बेटी बचाओ’ नहीं ‘बेटी को बराबरी का हक़ सुनिश्चित करो’

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जी लाल क़िले के भाषणों में कई बार महिला सुरक्षा पर बात कर चुके हैं, पर उनकी सरकार ने पिछले 10 वर्षों में ऐसा कुछ ठोस नहीं किया जिससे महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराधों में कुछ रोकथाम हो। उन्होंने कहा कि महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध एक गंभीर मुद्दा है। इन अपराधों को रोकना देश के लिए एक बड़ी चुनौती है। हम सबको एकजुट होकर, समाज के हर तबके को साथ लेकर इसके उपाय तलाशने होंगे।

Mallikarjun Kharge on Women’s Safety : कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने महिला सुरक्षा के मुद्दे को लेकर केंद्र सरकार पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी लाल क़िले से अपने भाषण में महिला सुरक्षा की बात तो करते हैं लेकिन इस बारे में कोई ठोस कदम अब तक नहीं उठाए गए हैं।

खड़गे ने कहा कि हर दीवार पर बेटी बचाओ पेंट करवा देने से क्या सामाजिक बदलाव आएगा या सरकारें व क़ानून व्यवस्था सक्षम बनेगी। उन्होंने कहा कि अब हमें ‘बेटी बचाओ’ नहीं ‘बेटी को बराबरी का हक़ सुनिश्चित करो’ चाहिए। महिलाओं को संरक्षण नहीं, भयमुक्त वातावरण चाहिए।

कांग्रेस अध्यक्ष ने महिला सुरक्षा के मुद्दे पर सरकार पर साधा निशाना

मल्लिकार्जुन खड़गे ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर लिखा है कि ‘हमारी महिलाओं के साथ हुआ कोई भी अन्याय असहनीय है, पीड़ादायक है और घोर निंदनीय है। हमें ‘बेटी बचाओ’ नहीं ‘बेटी को बराबरी का हक़ सुनिश्चित करो’ चाहिए। महिलाओं को संरक्षण (protection) नहीं, भयमुक्ततावरण (safety) चाहिए। देश में हर घंटे महिलाओं के ख़िलाफ़ 43 अपराध रिकॉर्ड होते हैं। हर दिन 22 अपराध ऐसे हैं जो हमारे देश के सबसे कमज़ोर दलित-आदिवासी वर्ग की महिलाओं व बच्चों के ख़िलाफ़ दर्ज होते हैं। अनगिनत ऐसे अपराध है जो दर्ज ही नहीं होते – डर से, भय से, सामाजिक कारणों के चलते।’

उन्होंने कहा कि ‘प्रधानमंत्री मोदी जी लाल क़िले के भाषणों में कई बार महिला सुरक्षा पर बात कर चुके हैं, पर उनकी सरकार ने पिछले 10 वर्षों में ऐसा कुछ ठोस नहीं किया जिससे महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराधों में कुछ रोकथाम हो। उल्टा, उनकी पार्टी ने कई बार पीड़िता का चरित्र हनन भी किया है, जो शर्मनाक है। हर दीवार पर “बेटी बचाओ” पेंट करवा देने से क्या सामाजिक बदलाव आएगा या सरकारें व क़ानून व्यवस्था सक्षम बनेगी?  क्या हम Preventive क़दम उठा पा रहे हैं? क्या हमारा Criminal Justice System सुधरा है? क्या समाज के शोषित व वंचित अब एक सुरक्षित वातावरण में रह पा रहे हैं? क्या सरकार और प्रशासन ने वारदात को छिपाने का काम नहीं किया है? क्या पुलिस ने पीड़िताओं का अंतिम संस्कार जबरन करना बंद कर दिया है, ताकि सच्चाई बाहर न आ पाएँ? 

खड़गे ने कहा कि ‘हमें ये सोचना है कि जब 2012 में दिल्ली में “निर्भया” के साथ वारदात हुई तो जस्टिस वर्मा कमेटी की सिफ़ारिशें लागू हुई थी, आज क्या उन सिफ़ारिशों को हम पूर्णतः लागू कर पा रहे हैं? क्या 2013 में पारित Sexual Harassment of Women at Workplace (Prevention, Prohibition and Redressal) Act के प्रावधानों का ठीक ढंग से पालन हो रहा है, जिससे कार्यस्थल पर हमारी महिलाओं के लिए भयमुक्त वातावरण तैयार हो सके? संविधान ने महिलाओं को बराबरी का स्थान दिया है। महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध एक गंभीर मुद्दा है। इन अपराधों को रोकना देश के लिए एक बड़ी चुनौती है। हम सबको एकजुट होकर, समाज के हर तबके को साथ लेकर इसके उपाय तलाशने होंगे। Gender Sensitisation Curriculum हो या Gender Budgeting, Women Call Centres हो या हमारे शहरों में Street Lights और Women Washrooms जैसी मूलभूत सुविधा, या फिर हमारे Police Reforms हो या Judicial Reforms — अब वक्त आ गया है कि हम हर वो कदम उठाए जिससे महिलाओं के लिए भयमुक्त वातावरण सुनिश्चित हो सके।’


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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