कांग्रेस विधायकों की टूटी उम्मीद, मंत्री पद के बाद अब यहां भी मिली ‘ना’

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भोपाल। मध्य प्रदेश में कांग्रेस विधायकों को लंबे समय से सत्ता का इंतजार था। लेकिन जब सत्ता हाथ आई तो मंत्री पद नहीं मिला। ऐसे कई विधायक हैं जो कांग्रेस सरकार बनने के बाद पार्टी से मंत्री पद पाने की उम्मीद लगाए बैठे थे। लेकिन क्षत्रपों की आपसी खींचतान में कई वरिष्ठ विधायकों को दरकिनार कर दिया गया। उन्हें मंत्री मंडल में जगह नहीं मिली और अब उन्हें लोकसभा चुनाव तक खामोश रहने के लिए कहा गया है। लेकिन यही नहीं मंत्री पद की रेस से बाहर हुए विधायकों के लिए एक और बुरी खबर है। 

दरअसल, जिन्हें पार्टी की ओर से मंत्री मंडल में शामिल नहीं किया गया वह लोकसभा चुनाव में सांसद बनने के सपने देख रहे थे। लेकिन हाल ही में हुई बैठक में कांग्रेस की ओर से ऐसे संकेत दिए गए हैं कि मौजूदा विधायकों को पार्टी लोकसभा चुनाव में नहीं उतारेगी। इसके पीछा पार्टी नेताओं ने बड़ा कारण बताया है विधायकों की सरकार में संख्या कम होना। कांग्रेस स्पष्ठ बहुमत से सिर्फ दो सीट दूर रह गई। उसे कांग्रेस के ही बागी हुए निर्दलीय विधायकों से बाहर से समर्थन मिला है। वहीं सपा-बसपा ने भी अपना समर्थन कांग्रेस को दिया है। ऐसे में पार्टी नहीं चाहती उसके विधायक लोकसभा चुनाव में लड़े जिससे उन्हें उप चुनाव करवाना पड़े। यही हाल बीजेपी का भी है। बीजेपी भी नहीं चाहती कि किसी भी विधानसभा सीट पर उपचुनाव की स्थिति बने। बीजेपी पहले ही विधानसभा चुनाव में तीन सांसदों को लड़वा चुकी है। जिनमें से दो सीट पर उसे जीत मिली है। ऐसे में बीजेपी के दो सांसद कम हैं। 


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