इंदौर, आकाश धोलपुरे
मध्यप्रदेश की सियासत में अब गंगा जल ने अपना एक अलग मुकाम बना लिया है। जहां कांग्रेस शुद्ध के लिए युद्ध की शुरुआत पवित्र गंगा जल के सहारे की है। वही इधर, बीजेपी ने कांग्रेस की राजनीति पर सवाल खड़े उल्टा कांग्रेस को ही कटघरे में खड़ा कर दिया है। दरअसल, मध्यप्रदेश में 27 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है ऐसे में कांग्रेस ने गंगा जल को घर – घर पहुंचाने का काम उपचुनाव की सीटो पर शुरू कर दिया है। प्रदेश में कांग्रेस गंगाजल उपचुनाव वाली सीटों में ले जाएगी और हर विधानसभा क्षेत्र में घर – घर तक आधा लीटर गंगा जल पहुंचाएगी ताकि कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हुए विधायकों की हकीकत को जनता तक ले जाया जा सके।
कांग्रेस की प्रदेश उपाध्यक्ष अर्चना जायसवाल के नेतृत्व में शुद्ध के लिए युद्ध अभियान की शुरुआत की गई है। जिसकी शुरुआत आज सांवेर से की गई है। उन्होंने बताया कि लोगो ने वोट कांग्रेस पार्टी और कमलनाथ सरकार के लिए किए थे लेकिन खरीद फरोख्त क्स बाद जनता के मतों से चुने गए विधायक बीजेपी में शामिल हो गए है और जनता का वोट अशुद्ध कर दिया है, लिहाजा कांग्रेस अब शुद्ध का युद्ध छेड़ चुकी है और घर – घर गंगाजल पहुंचाने के साथ कांग्रेस लोगो से वोट की मांग करेगी ताकि प्रदेश में फिर से कमलनाथ सरकार आ जाए। वही दल बदलकर जनता को धोखा देने वाले लोगों को सबक मिल सके। कांग्रेस ने आज से इंदौर में उपचुनाव के एपिसेंटर बन चुके सांवेर से इसकी शुरुआत की है और एनएसयूआई के कार्यकर्ताओं सहित कांग्रेसी कार्यकर्ता घर घर गंगा जल पहुंचाएंगे।
इधर, कांग्रेस के इस कदम पर बीजेपी ने खुशी जाहिर की और बीजेपी के वरिष्ठ नेता और प्रखर प्रवक्ता उमेश शर्मा ने कांग्रेस पर पलटवार किया है। उमेश शर्मा की माने तो कांग्रेस अब प्रदेश में अंतिम सांसे ले रही है और ये सही वक्त है कि उन्हें गंगाजल की याद आ गई। हम तो प्रभु से ये ही मांग करेंगे कि हे प्रभु कांग्रेस को मुक्ति प्रदान करे। वही उन्होंने कहा कि आगामी चुनाव कांग्रेस के झूठे वचन पत्र के 100 झूठे वादों को लेकर लड़े जाएंगे भले ही कांग्रेस गंगाजल का सहारा ले ले लेकिन इससे उसे अब राजनीतिक रूप से मुक्ति ही मिलेगी।
फिलहाल, प्रदेश की राजनीति में अब टाइगर के बाद पवित्र गंगाजल की भी आमद हो गई है ऐसे में सवाल ये उठ रहे है कि दोनों ही राजनीतिक दलों का आने वाले समय मे गंगाजल को लेकर क्या रुख रहेगा ये अभी भी एक सवाल ही है क्योंकि जबाव तो पब्लिक जानती है जो उपचुनाव के बाद स्पष्ट रूप से सामने आ जायेगा।