फिर शिव ‘राज’ क्या बुरा था कमलनाथ जी..

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भोपाल| मुख्यमंत्री कमलनाथ द्वारा की गई पहली ब्यूरोक्रेसी सर्जरी को लेकर प्रशासनिक अधिकारी अचंभित है। दरअसल लंबे समय से लूप लाइन जैसी प्रताड़ना का दर्द झेल रहे अनुभवी ,योग्य व ईमानदार आईएस अधिकारियों को उम्मीद थी कि अब कम से कम बल्लभ भवन को उस प्रशासनिक काकस से छुटकारा मिलेगा जो शिवराज सरकार के तीन कार्यकालों में लगातार ताकतवर होता जा रहा था और पूरी मध्य प्रदेश की प्रशासनिक व्यवस्था जिसके इशारे पर चल रही थी। लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों के स्थानांतरण की पहली सूची ने उन सभी अधिकारियों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है और एक बार फिर उन अधिकारियों को ऐसा लगने लगा है कि यही होना था तो फिर शिवराज सिंह चौहान का शासन क्या बुरा था। 

इस प्रशासनिक फेरबदल में मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव अशोक वर्णवाल को यथा स्थान कायम रखा गया है। नगरीय प्रशासन विभाग में लंबे समय से पहले कमिश्नर और उसके बाद प्रमुख सचिव का दायित्व संभाल रहे मुख्यमंत्री के सबसे ताकतवर प्रमुख सचिव विवेक अग्रवाल को भी हजारों करोड़ के बजट वाले पीएचई विभाग की पोस्टिंग दी गई है। मुख्यमंत्री के एक अन्य प्रमुख सचिव हरिरंजन राव को भी पर्यटन विभाग का प्रमुख सचिव बनाने के साथ-साथ तकनीकी कौशल विभाग का भी प्रमुख सचिव बनाकर यह बता दिया गया है कि उनका रुतबा कायम है। पीएचई विभाग के प्रमुख सचिव रहते जिन  प्रमोद अग्रवाल के समय आईटी विभाग के प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी ने ई टेंडरिंग घोटाला पकड़ा उन्हें एक बार फिर महत्वपूर्ण विभाग नगरीय प्रशासन विभाग दे दिया गया है। यानी कुल मिलाकर जो अधिकारी पिछले 15 सालों से लगातार प्राइम पोस्टिंग पा रहे थे उनके लिए सरकार बदलने का कोई फर्क नहीं पड़ा।

हैरत की बात यह है कि इस पूरी प्रशासनिक सजावट के पीछे प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव एंटोनी जेसी डिसा की भूमिका बताई जा रही है। यानी मुख्य सचिव के रूप में जो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पसंद था अब उसकी पसंद के अधिकारी कमलनाथ की सरकार में अहम पद पा रहे हैं|


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