सनसनीखेज़ साइबर क्राइम : मुंबई में 86 वर्षीय महिला को दो महीने तक रखा डिजिटल अरेस्ट, 20 करोड़ की ठगी

क्या आप जानते हैं कि लोगों को कैसे बिना मिले बिना जानें मनोवैज्ञानिक दबाव बनाकर उनके ही घर में बंधक बना लिया जाता है। डिजिटल अरेस्ट साइबर ठगी का तरीका है जिसमें जालसाज फोन, मैसेज या वीडियो कॉल के जरिए लोगों को डराते हैं कि वे किसी कानूनी मामले में फंस गए हैं और उन्हें "डिजिटल रूप से गिरफ्तार" किया जा रहा है। वे खुद को पुलिस या सरकारी अधिकारी बताकर पैसे मांगते हैं। इससे बचने के लिए कभी भी अनजान कॉल्स पर भरोसा न करें। अपनी निजी जानकारी जैसे बैंक डिटेल्स शेयर न करें और शक होने पर तुरंत पुलिस से संपर्क करें। इसी के साथ अन्य साइबर अपराधों को लेकर भी सजग रहना जरूरी है।

Shruty Kushwaha
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Digital Arrest : आजकल साइबर क्राइम और डिजिटल अरेस्ट की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। पिछले कुछ समय में हमने डिजिटल अरेस्ट की कई घटनाएं पढ़ी-सुनी है। हाल ही में ऐसा ही सनसनीखेज मुंबई से सामने आया है, जिसमें 86 साल की एक बुजुर्ग महिला को साइबर ठगों ने अपना शिकार बनाया। उन्होंने महिला को दो महीने तक “डिजिटल अरेस्ट” में रखा और इस दौरान उनके बैंक खाते से 20 करोड़ रुपये से अधिक की राशि ठग ली।

यह घटना आज के डिजिटल युग में बढ़ते साइबर अपराधों की भयावहता को उजागर करती है, खासकर बुजुर्ग नागरिकों के प्रति जो इस तरह के जालसाजों का आसान निशाना बन रहे हैं। साइबर क्राइम  में डिजिटल अरेस्ट एक नया और खतरनाक रूप है। इसमें जालसाज फोन कॉल, व्हाट्सएप मैसेज या ईमेल के जरिए लोगों को डराते हैं कि उनकी पहचान चोरी हो गई है या वे किसी कानूनी मामले में फंस गए हैं। वे खुद को पुलिस, बैंक अधिकारी या सरकारी कर्मचारी बताकर कहते हैं कि अगर तुरंत पैसे नहीं दिए गए, तो व्यक्ति को “डिजिटल अरेस्ट” कर लिया जाएगा। यह एक तरह का मनोवैज्ञानिक जाल है जिसमें लोग डर के कारण बिना सोचे-समझे अपराधियों की बात मान लेते हैं।

क्या है मामला

मुंबई में छियासी साल की बुजुर्ग महिला के साथ साइबर क्रिमिनल्स ने फोन पर संपर्क किया और खुद को CBI अधिकार संदीप राव के रूप में प्रस्तुत किया। उसने महिला को बताया कि उनके आधार कार्ड का इस्तेमाल गैरकानूनी गतिविधियों के लिए किया गया है, जिसमें एक नया बैंक खाता खोलना और मनी लॉन्ड्रिंग जैसी गतिविधियां शामिल हैं। ठगों ने महिला को धमकाया कि अगर उन्होंने सहयोग नहीं किया तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी और उनका परिवार भी प्रभावित होगा।  इस डर के माहौल का फायदा उठाते हुए, ठगों ने महिला को “डिजिटल अरेस्ट” में डाल दिया। इस दौरान उन्हें किसी से संपर्क करने से मना किया गया और लगातार फोन और वीडियो कॉल के जरिए उन पर नजर रखी गई। बाद में कुछ और लोग इस ठगी में जुड़े और अलग अलग नामों से महिला को अपने बैंक खातों से पैसे ट्रांसफर करने के लिए मजबूर किया गया।

इस तरह हुआ खुलासा 

जालसाजों ने महिला को विभिन्न बैंक खातों में कई किश्तों में कुल 20.25 करोड़ रुपये ट्रांसफर करा लिए। ठगों ने यह सुनिश्चित किया कि महिला हर समय उनके संपर्क में रहे और रिश्तेदारों या किसी भी अन्य व्यक्ति से इसे लेकर बात न करे। इस दौरान महिला को यह विश्वास दिलाया गया कि यह एक गोपनीय जांच का हिस्सा है और उनकी सुरक्षा के लिए ऐसा करना जरूरी है। लेकिन पीड़िता के घर काम करने वाली महिला ने उनके व्यवहार में परिवर्तन देखा और उनकी बेटी को सूचित किया। इसके बाद पूरे मामले का खुलासा हुआ और फिर मामला पुलिस तक पहुंचा। फ़िलहाल पुलिस ने इस मामले में बीस साल के दो युवकों को गिरफ़्तार किया है और आगे की जांच जारी है।


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Shruty Kushwaha

Shruty Kushwaha

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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