देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की पुण्यतिथि आज, राहुल गांधी, प्रियंका, सोनिया, खड़गे सहित कई नेताओं ने दी श्रद्धांजलि

सोनिया गांधी ने शांति वन पहुँचकर उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए। राहुल ने पंडित नेहरू को याद करते हुए लिखा है कि उन्होंने अपना पूरा जीवन स्वतंत्रता आंदोलन, लोकतंत्र स्थापन, धर्मनिरपेक्षता और संविधान की नींव रखते हुए भारत निर्माण के लिए समर्पित किया। उनके मूल्य सदैव हमारा मार्गदर्शन करते रहेंगे।

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Death anniversary of Jawaharlal Nehru : आज देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की पुण्यतिथि है। इस अवसर पर राहुल गांधी , प्रियंका गांधी, सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, जयराम रमेश, कमलनाथ, जीतू पटवारी सहित कई नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी है। प्रधानमंत्री मोदी ने भी उन्हें श्रद्धांजलि दी।

राहुल गांधी, प्रियंका गांधी सहित कई नेताओं ने दी श्रद्धांजलि

राहुल गांधी ने पंडित नेहरू को श्रद्धांजलि देते हुए लिखा है कि ‘आधुनिक भारत के शिल्पकार, देश के प्रथम प्रधानमंत्री, पंडित जवाहरलाल नेहरू जी की पुण्यतिथि पर उन्हें सादर नमन। एक दूरदर्शी व्यक्ति के रूप में उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन – स्वतंत्रता आंदोलन, लोकतंत्र स्थापन, धर्मनिरपेक्षता और संविधान की नींव रखते हुए भारत निर्माण के लिए समर्पित किया। उनके मूल्य सदैव हमारा मार्गदर्शन करते रहेंगे।’ वहीं प्रियंका गांधी ने लिखा है कि ‘भारत बहुत सी वाजिब विविधताओं वाला इतना विशाल देश है जिसमें तथाकथित ‘शक्तिशाली व्यक्ति’ द्वारा लोगों और उनके विचारों को रौंदने की अनुमति नहीं दी जा सकती।पंडित जवाहरलाल नेहरू जी मानते थे कि भारत में जिस तरह की विविधता है, एक लोकतांत्रिक ढांचा ही भारत को एकजुट रख सकता है जिसमें विभिन्न सांस्कृतिक, राजनीतिक और सामाजिक-आर्थिक प्रवृत्तियों व आकांक्षाओं को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता मिले। उन्होंने अनेक महानायकों के सहयोग से एक ऐसे लोकतंत्र की नींव रखी, जिस पर आज हम गर्व करते हैं। पहले प्रधानमंत्री की पुण्य स्मृतियों को नमन!’

सोनिया गांधी ने पंडित नेहरू के स्मारक पर अर्पित किए श्रद्धासुमन

CPP चेयरपर्सन सोनिया गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने ‘शांति वन’ पहुंचकर पंडित जवाहरलाल नेहरू के स्मारक पर पुष्प अर्पित किए और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने उनकी स्मृतियों को नमन करते हुए एक्स पर लिखा है कि ‘आज जवाहरलाल नेहरू की 60वीं पुण्य तिथि है। 22 मई, 1964 को नेहरू ने सामान्य रूप से लगभग हर महीने होने वाली प्रेस वार्ता की थी। उस वार्ता के अंत में उनसे जब उत्तराधिकार के बारे में पूछा गया तब उन्होंने मज़ाक में जवाब दिया था: “मेरा जीवन इतनी जल्द ख़त्म होने वाला नहीं है”। इसके बाद नेहरू ने कुछ दिन देहरादून में बिताए। हमारे पास उनके निधन से पहले की आख़री तस्वीर वहीं की है। वह 26 मई को नई दिल्ली लौट आए। शायद उस रात उनका आख़िरी काम जापान के शोइची हिरोसे को पत्र लिखना था। कुछ घंटों बाद, 27 मई की सुबह 6:25 बजे नेहरू बेहोश हुए और दोपहर 2 बजे उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। अपने असाधारण और कई तरह के इतिहास रचने वाले जीवन के दौरान नेहरू बुद्ध के जीवन और उनके संदेशों से गहराई से प्रभावित थे। उनका अध्ययन कक्ष और शयनकक्ष बुद्ध के प्रति उनके आकर्षण का प्रमाण है। आश्चर्यजनक रूप से पृथ्वी पर उनका अंतिम दिन बुद्ध पूर्णिमा के दिन था और उन्होंने अपना अंतिम पत्र एक बौद्ध भक्त को लिखा था। नेहरू के इतिहास को पढ़ने और प्राचीनता को भारत के नए गणतंत्र के साथ जोड़ने की उनकी इच्छा ने उन्हें बुद्ध के सबसे महान प्रचारक सम्राट अशोक की दो विरासतों का उपयोग करने के लिए प्रेरित किया – राष्ट्रीय ध्वज में अशोक चक्र और भारत के राष्‍ट्रीय प्रतीक के रूप में सारनाथ स्थित अशोक के सिंह स्तंभ की अनुकृति।’

जीतू पटवारी, कमलनाथ ने किया नमन

मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कहा है कि ‘आधुनिक भारत के शिल्पकार, देश के प्रथम प्रधानमंत्री, पंडित जवाहरलाल नेहरू जी की पुण्यतिथि पर उन्हें सादर नमन। एक दूरदर्शी व्यक्ति के रूप में उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन – स्वतंत्रता आंदोलन, लोकतंत्र स्थापन, धर्मनिरपेक्षता और संविधान की नींव रखते हुए भारत निर्माण के लिए समर्पित किया। उनके मूल्य सदैव हमारा मार्गदर्शन करते रहेंगे।’ वहीं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि ‘महान स्वतंत्रता सेनानी, देश के प्रथम प्रधानमंत्री, आधुनिक भारत के निर्माता पंडित जवाहरलाल नेहरू की पुण्यतिथि पर विनम्र श्रद्धांजलि। नेहरू जी ने भारत के चहुँमुखी विकास की जो आधारशिला रखी वह आज भी विश्व में अद्वितीय है। भारत में लोकतंत्र की स्थापना और लोकतांत्रिक संस्थाओं का प्रसार उनका सबसे बड़ा योगदान है। उन्होंने अपना पूरा जीवन भारत में ग़ैर बराबरी दूर करने और भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए समर्पित किया। युगों-युगों तक उनकी कीर्ति अमर रहेगी।’


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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