ग्वालियर।अतुल सक्सेना।
ज्योतिरादित्य सिंधिया (jyotiraditya scindia)के गढ़ में अब तक बिना उनकी मर्जी के कोई भी नियुक्ति नहीं होती थी चाहें वो सरकारी अफसरों की हो या राजनैतिक। लेकिन अब कांग्रेस(congress) से सिंधिया(scindia) का नाता टूटने के बाद यहाँ दिग्विजय का दखल प्रभावी हो गया है। ग्वालियर चम्बल अंचल(gwalior chambal) में अब दिग्विजय समर्थकों (digvijay suppoters)की नियुक्तियाँ शुरू हो गई हैं।
ग्वालियर जिले में दिग्विजय समर्थक नेता सिंधिया के कारण हमेशा से हाशिये पर रहे हैं पार्टी में भी उन्हें वो महत्व कभी नहीं मिला जो सिंधिया समर्थकों को मिलता था। पिछले 15 साल की भाजपा की सरकार में और दिग्विजय के सक्रिय राजनीति से सन्यास के बाद दिग्विजय समर्थक नेता गुमनामी में चले गए थे लेकिन कांग्रेस की सरकार बनने और इसमें दिग्विजय का दखल बढ़ने के बाद इन्हें संजीवनी मिली। इसी बीच प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष अशोक सिंह के अपेक्स बैंक(apex bank) का चेयरमेन बनाये जाने के बाद ये साफ हो गया था कि अब ग्वालियर चम्बल अंचल में दिग्विजय का दखल बढ़ेगा और सिंधिया का कद बढ़ेगा।
एमपी ब्रेकिंग न्यूज़ ने अशोक सिंह(ashok singh) की नियुक्ति के बाद इसका खुलासा भी किया है। अब जब सिंधिया ने कांग्रेस छोड़ दी है तो दिग्विजय को पूरा मैदान मिल गया है और उन्होंने अपने हिसाब से अपने नेताओं को उपकृत करना शुरू कर दिया है। हाल में ग्वालियर में हुई दो बड़ी नियुक्तियाँ इसका उदाहरण हैं। सियासी उठापटक और अल्प मत सरकार का आरोप झेल रही कमलनाथ सरकार ने लंबे समय से हाशिये पर पड़े दिग्विजय समर्थक वासुदेव शर्मा को जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित ग्वालियर का प्रशासक नियुक्त किया है। नियुक्ति के आदेश मंगलवार को हुए हैं और आज बुधवार को वासुदेव शर्मा जिला पंचायत सी ई ओ शिवम वर्मा से चार्ज लेंगे। अब तक वर्मा पर प्रशासक का अतिरिक्त प्रभार था।
इस नियुक्ति के अलावा एक और दिग्विजय समर्थक को बड़ी कुर्सी मिली है। ये नियुक्ति हुई है जीवाजी विश्वविद्यालय में। यहाँ राजनीति शास्त्र अध्ययनशाला के विभागाध्यक्ष प्रो एपीएस चौहान को सरकार ने जेयू का कुल सचिव नियुक्त किया है। श्री चौहान दिग्विजय सिंह के रिश्तेदार बताये जाते हैं। गौरतलब है कि संगीता शुक्ला के कुलपति बनने के बाद से एपीएस चौहान उनकी नियुक्ति का विरोध करते रहे हैं चूंकि वे बहुत वरिष्ठ प्रोफेसर हैं इसलिए उन्होंने संगीता शुक्ला की नियुक्ति को लेकर न्यायालय की शरण भी ली। लेकिन कांग्रेस विचारधारा को मानने के चलते भाजपा सरकार में उनको कोई लाभ नहीं मिला फिर सिंधिया समर्थक नहीं होने के कांग्रेस की सरकार में देश साल लाभ ले पाए अब चूंकि सिंधिया ने कांग्रेस छोड़ दी तो दिग्विजय समर्थक प्रो चौहान को उनकी योग्यता के मुताबिक कुर्सी मिल गई। हालांकि ये बात अलग है कि उनकी नजर अभी भी कुलपति की कुर्सी पर ही रहेगी।