भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की 28 सीटों पर उपचुनाव (By election) होने के बाद अटका हुआ बिजली (Electricity) का नया टैरिफ लागू करने के तैयारी तेज हो गई है। संभावना है कि बिजली दर 7% दरें बढ़ाई जा सकती है।
दरअसल कोरोना काल (Corona Era) के अलावा उपचुनाव होने के कारण सरकार भी नया टैरिफ लागू करने के पक्ष में नहीं थी। 7 महीने तक मामला टलता रहा, सुनवाई भी नहीं हुई। अब उपचुनाव में सकारात्मक माहौल देख इस पर जल्द फैसला हो सकता है, जो बिजली उपभोक्ताओं के लिए भार बढ़ाने वाला होगा।
आर्थिक संकट से जूझ रही सरकार
एक बड़ी वजह यह है कि सरकार आर्थिक संकट से जूझ रही है और इस साल 8 महीने में मध्यप्रदेश की तीनों बिजली कंपनियों को 2000 करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है। जानकार बताते हैं कि पावर मैनेजमेंट कंपनी की ओर से तैयार कराई जा रही टैरिफ याचिका में इस बार औसतन 7% तक बिजली दरें (bijli) बढ़ाने की तैयारी है। इसके लिए प्रदेश की तीनों वितरण कंपनियों से लेखा-जोखा मांगा गया है। उन्हें 30 नवंबर तक विद्युत नियामक आयोग के समक्ष याचिका दायर करना है।
कोरोना और चुनाव के चलते नहीं बढ़ी थी दरें
मौजूदा वित्तीय वर्ष 2020-21 में बिजली कंपनियों ने औसतन 5.25% बिजली के दाम बढ़ाने की अनुमति मांगी थी। लेकिन कोरोना वायरस के चलते इस पर निर्णय नहीं हो पाया। लगभग 3000 करोड़ रुपए के घाटे की भरपाई के लिए इस बार बिजली बिलों के दामों में बढ़ोतरी होना तय माना जा रहा है। पावर मैनेजमेंट कंपनी की ओर से अगले वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए टैरिफ बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इसमें बीते सालों में हुए नुकसान को जोड़कर बिजली की कीमत तय करने की तैयारी है।
4% से 12% तक बढ़ने की संभावना
3000 से अधिक घाटे की भरपाई के लिए अलग-अलग श्रेणी में 4 से 12% तक कीमत बढ़ाने की तैयारी है, औसतन यह 7% के आसपास रहेगी। बिजली कंपनियों ने वर्ष 2019-20 में 5575 करोड़ यूनिट बिजली बेची थी। वहीं 2020-21 में 6 हज़ार करोड़ यूनिट बिजली बेचने का लक्ष्य रखा है। चालू वित्तीय वर्ष में अगस्त तक कंपनी 2050 करोड़ यूनिट बिजली बेच पाई है। उसे उम्मीद है कि रबी सीजन में डिमांड बढ़ने पर 6 हजार करोड़ यूनिट का लाभ प्राप्त हो जाएगा।
दो हजार करोड़ का है घाटा
अगले वित्तीय वर्ष में 6500 करोड़ यूनिट के लगभग डिमांड बढ़ने की उम्मीद की जा रही है। ऐसे में बिजली की उपलब्धता और जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए बिजली की कीमतों में बढ़ोतरी करना होगा। चालू वित्तीय वर्ष में बिजली कंपनियों ने 39332 करोड रुपए के आय और 41332 करोड रुपए व्यय का आर्कन किया था। इसी 2000 करोड़ रुपए की भरपाई के लिए कीमतों में 5.25% की वृद्धि की अनुमति मांगी थी जो नहीं मिल पाई।
ये है मौजूदा बिजली की दरें
0 से 50 यूनिट 3.85 रुपए प्रति यूनिट
टिकावन से डेढ़ सौ यूनिट 4.95 रुपए प्रति यूनिट
151 से 300 यूनिट 6.30 रुपए प्रति यूनिट
300 यूनिट से ऊपर 6.50 रुपए प्रति यूनिट