जबलपुर, संदीप कुमार। प्रदेशवासियों को नए साल में महंगाई का एक ओर झटका लगने वाला है। बिजली कंपनियों (electricity companies) ने विद्युत नियामक आयोग (Electricity Regulatory Commission) में दाम बढ़ाने के लिए याचिका दायर कर दी है। बताया जा रहा है कि बीते छह साल में प्रदेश की तीनों बिजली कंपनियों को कुल 36 हजार 812 करोड़ रूपये का घाटा हुआ है। प्रदेश में कृषि, घरेलू और व्यवसायिक उपभोक्ताओं की संख्या 1.50 करोड़ है। ऐसे में कहा जा सकता है कि मध्यप्रदेश का हर बाशिंदा 25 हजार रूपये के बिजली कर्ज में है।
सबसे ज्यादा पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी को घाटा
जानकारी के मुताबिक मध्यप्रदेश की तीनों बिजली वितरण कंपनियों में सबसे ज्यादा घाटा 4752.48 करोड़ का पूर्व क्षेत्र को हुआ है। जिसके बाद अब कंपनियों ने विद्युत नियामक आयोग से अगले टैरिफ आदेश में उपभोक्ताओं से राशि वसूलने की सत्यापन याचिका दायर की है। खास बात ये है कि जबलपुर में बिजली कंपनी का मुख्यालय है, इसके बाद भी पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी को सबसे अधिक घाटा हुआ है। वहीं सबसे कम घाटे में पश्चिम क्षेत्र है।
11 दिसंबर 2020 को दायर की थी सत्यापन याचिका
बिजली कंपनियों ने पिछले पांच वित्तीय वर्ष 2014-15 से 2018-19 तक की लगभग 32 हजार करोड़ घाटे की सत्यापन याचिकाएं दायर की थी। आयोग पूर्व के चार वित्तीय वर्ष के लिए 11 दिसंबर 2020 को और 2018-19 के लिए 5 जनवरी 2021 को जनसुनवाई कर चुकी है। इस सुनवाई में आयोग के समक्ष कई लाेगों ने अपनी आपत्ति दर्ज कराई है जिसके बाद अभी आयोग का निर्णय लंबित है।
क्या होती है सत्यापन याचिका
विद्युत विभाग के जानकार बताते हैं कि बिजली कंपनियों को सभी खर्चे मिलाकर जो बिजली की लागत पड़ती है, उस पूंजी पर लाभ जोड़कर बिजली बेचने की दर निर्धारित होती है। क्योंकि टैरिफ निर्धारण संबंधित वित्तिय वर्ष के प्रारंभ होने के समय अनुमानित आंकलन के आधार पर तय किया जाता है,इस कारण वित्तीय वर्ष समाप्त होने के बाद बिजली कंपनियां अपने समस्त खर्चों का वास्तविक विवरण आयोग के समक्ष रखती हैं। तब अनुमानित आंकलन के आधार पर स्वीकृत की गई राशि और वास्तविक खर्चों के अंतर की राशि को सत्यापन याचिका के माध्यम से उपभोक्ताओं से वसूली की गुहार लगाती हैं।
बिजली है महंगी फिर भी भी क्यों हो रहा है घाटा, बड़ा सवाल
जानकारों के मुताबिक बिजली के दाम बढ़ाने को लेकर मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इस पूरे मामले की जांच की मांग भी की गई है कि आखिर जब लगातार बिजली के दाम बढ़ रहे हैं तो इसके बाद भी कंपनीयो को घाटा क्यों हो रहा है। इतना ही नहीं, बिजली कंपनियां चोरी रोकने और वसूली भी ढंग से नहीं कर पा रही है, जो कि घाटे का महत्वपूर्ण कारण है। जिसके चलते आम जनता को महंगी बिजली (electricity bill) खरीदना पड़ रहा है। प्रदेश शासन द्वारा विद्युत कंपनियों को सब्सिडी दी जा रही है। अभी हर तरह के स्कीमों पर 15 हजार करोड़ की सब्सिडी देनी पड़ रही है, ऐसे में अगर बिजली महंगी हुई तो सरकार पर सब्सिडी का बोझ और बढ़ जाएगा।
याचिका में छह प्रतिशत दर बढ़ाने की मांग
तीनों बिजली वितरण कंपनियों की ओर से मप्र पावर मैनेजमेंट कंपनी पहले ही वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए औसत 6 प्रतिशत दर बढ़ाने की याचिका पेश कर चुकी है। इसमें घरेलू बिजली में लगभग आठ प्रतिशत बढ़ोत्तरी का प्रस्ताव है। राज्य विद्युत नियामक आयोग ने प्रस्ताव स्वीकार किया तो बिजली दरों में प्रति यूनिट लगभग 32 पैसे की बढ़ोत्तरी हो जाएगी। प्रदेश के 1.50 करोड़ उपभोक्ताओं में एक करोड़ ऐसे उपभोक्ता हैं, जो 150 यूनिट तक बिजली खर्च करते हैं, इन पर ही सबसे अधिक बोझ पड़ेगा।