क्या मध्य प्रदेश छोड़ेंगे शिवराज, तीसरी बार दिल्ली ले जाने की कोशिश

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भोपाल। भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अभी मप्र भाजपा के सर्वश्रेष्ठ और प्रदेश के लोकप्रिय नेता हैं। सीएम पद से इस्तीफा देने के बाद वे मप्र में रहने का ऐलान कर चुके हैं, लेकिन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और पार्टी हाईकमान उन्हें हर हाल में दिल्ली में एडजस्ट करना चाहता है। हाईकमान की मंशा अगले चुनाव तक मप्र में दूसरी पीड़ी खड़ी करना है। प्रदेश की पहली पीड़ी के नेताओं के राज्य की राजनीति में सक्रिय रहते यह संभव नहीं है। यही वजह है विधानसभा चुनाव के बाद से अब शिवराज सिंह चौहान को तीन बार दिल्ली ले जाने की कोशिश हो चुकी है। 

मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देते ही भाजपा हाईकमान ने शिवराज सिंह चौहान को राष्ट्रीय राजनीति में आने के लिए राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंप दी। तब यह अटकलें थी कि शिवराज अब मप्र छोड़कर दिल्ली की राजनीति करेंगे। इस बीच शिवराज ने यह किया था कि वे मप्र की राजनीति में रहेंगे और कहीं नहीं जाएंगे। जिससे उन अटकलों को विराम लगा। इसके बाद शिवराज सिंह चौहान को लोकसभा चुनाव में उतारने की पूरी कोशिश की गई। संघ और भाजपा हाईकमान के भारी दबाव के बावजूद भी शिवराज संसद का चुनाव नहीं लड़े। लोकसभा चुनाव बाद शिवराज ने एक बार फिर मप्र में सक्रियता बढ़ा दी। हाल ही में उन्होंने बिजली संकट और दुष्कर्म की घटनाओं के विरोध में प्रदर्शन किया। साथ ही प्रदेश की सरकार पर हमले बोले हैं। जिससे शिवराज ने यह साबित करने की कोशिश की है कि मप्र में वे भाजपा के बड़े नेता है। इसी बीच पार्टी हाईकमान ने शिवराज को सदस्यता अभियान का राष्ट्रीय प्रभारी बना दिया है। सदस्यता लक्ष्य हासिल करने के लिए शिवराज को मप्र के बाहर ज्यादा समय देना ही होगा। ऐसे में भाजपा हाईकमान मप्र में नई पीड़ी के नेताओं को आगे बढ़ाने में कामयाब हो सकता है। 

इन्हें भी रखा मप्र से दूर

ऐसा नहीं है कि हाईकमान ने सिर्फ शिवराज को ही मप्र से दूर करने की कोशिश की है। केंद्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर अब पूरा फोकस दिल्ली की राजनीति में है। मप्र में भाजपा सरकार रहते तोमर का प्रदेश राजनीति में खासा दखल था। तब उन्हें उम्मीद थी कि 2018 के चुनाव में उन्हें सीएम का दायित्व मिल सकता है। लेकिन अब तोमर पूरी तरह दिल्ली में रमना चाहते हैं। कैलाश विजयवर्गीय को भी मप्र की राजनीति से दूर रखा गया है। पार्टी सूत्र बताते हैं कि भाजपा हाईकमान राकेश सिंह, वीडी शर्मा समेत दूसरी पीड़ी के अन्य नेताओं को आगे बढ़ाना चाहती है। राकेश को केंद्रीय मंत्री नहीं बनाने एवं संघ द्वारा तमाम विरोधों के बावजूद भी वीडी शर्मा को लोकसभा का टिकट दिलवाने के पीछे यही रणनीति हो सकती है। 


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