पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले वनमंत्री उमंग सिंघार की अपनी ही सरकार में सुनवाई नही हो रही है।उनके विभाग के अधिकारी ही नही सुन रहे है। स्थिति ये है कि वे कार्रवाई के लिए कहते है और एसीएस फाइल को बंद करने की अनुशंसा कर देते है। इतना ही नही मुख्यमंत्री भी एसीएस के इस तर्क से सहमत होकर फाइल बंद कर देते है।
दरअसल, करीब ढाई साल पहले मादा बाघ शावक को रेस्क्यू कर बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व भेजा गया था। उसे बहेरहा स्थित बाड़े में रखा था। युवा होने पर उसे नौरादेही अभयारण्य में छोड़ने का फैसला लिया। डॉ. प्रकाशम् ने चीफ वाइल्ड लाइफ वॉर्डन रहते हुए वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 11(1)(ए) का हवाला देते हुए 13 सितंबर 2019 को बाघिन की शिफ्टिंग के आदेश जारी कर दिए।जब यह आदेश वनमंत्री तक पहुंचा तो उन्होंने आपत्ति जताते हुए कहा कि अधिनियम की इस धारा में शिफ्टिंग का प्रावधान ही नहीं है। इस पर हॉफ ने 20 सितंबर को संशोधन आदेश जारी कर दिया।लेकिन सिंघार ने एसीएस को नोटशीट भेजकर डॉ. प्रकाशम् के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने को कहा। लेकिन एसीएस एपी श्रीवास्तव ने इसे लिपिकीय त्रुटि बताते हुए फाइल बंद करने की अनुशंसा कर दी, जिस पर मुख्यमंत्री सहमत हो गए और उन्होंने फाइल बंद कर दी।
बता दे कि बीते कई दिनों से वन मंत्री उमंग सिंघार और अपर मुख्य सचिव एपी श्रीवास्तव के बीच विवाद चल रहा है, जिसका असर विभाग के कामों पर भी पड़ रहा है।ऐसे में ये फाइल बंद करने का फैसला नए विवाद को जन्म दे सकता है।