Buddhadeb Bhattacharya passed away : पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य का 80 साल की उम्र में निधन हो गया है। उन्होंने गुरुवार सुबह अपने कोलकाता स्थित निवास पर अंतिम सांस ली। वह कुछ समय से अस्वस्थ थे जिस कारण उन्हें बार-बार अस्पताल में भर्ती होना पड़ रहा था।
प.बंगाल में औद्योगिकरण को दी नई दिशा
वरिष्ठ वामपंथी नेता और पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य के परिवार में उनके परिवार में उनकी पत्नी मीरा और बेटी सुचेतना हैं। अपनी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के कारण वे पिछले कुछ वर्षों से सार्वजनिक जीवन से दूर थे। बुद्धदेव भट्टाचार्य 2000 से 2011 तक पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री रहे। वे कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) के पोलित ब्यूरो के सदस्य भी रहे हैं। उन्हें वामपंथियों के बीच एक सुधारवादी नेता के रूप में जाना जाता है, खासकर राज्य में औद्योगीकरण लाने की कोशिश के लिए।
याद रखा जाएगा उनका राजनीतिक योगदान
बुद्धदेव भट्टाचार्य का भारतीय राजनीति और पश्चिम बंगाल के विकास में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उनका जन्म 1 मार्च 1944 को कलकत्ता (अब कोलकाता) में हुआ था। उन्होंने अपनी शिक्षा प्रसिद्ध प्रेसीडेंसी कॉलेज से पूरी की। साहित्य के प्रति उनकी गहरी रुचि थी। ग्रेजुएशन की डिग्री लेने के बाद वे सीपीआई (एम) से जुड़ गए। मुख्यमंत्री के रूप में, उन्होंने राज्य में औद्योगिकीकरण को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए। टाटा मोटर्स की नैनो कार परियोजना को सिंगूर में स्थापित करने का उनका प्रयास राज्य में औद्योगिकीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था। हालांकि, सिंगूर और नंदीग्राम की घटनाएं उनके कार्यकाल में विवाद का कारण बनीं, लेकिन उनकी नीतियों ने राज्य में आर्थिक विकास के नए द्वार खोले। उन्होंने पश्चिम बंगाल में उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए नीतियां बनाई।इसी के साथ शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में सुधार के कई प्रयास किए। सरकारी स्कूलों और अस्पतालों की स्थिति को सुधारने के लिए योजनाएं लागू की। उनके नेतृत्व में पश्चिम बंगाल ने कई महत्वपूर्ण बदलाव और विकास के चरण देखे हैं और उनके राजनीतिक योगदान को आने वाले लंबे समय तक याद रखा जाएगा।