मध्य प्रदेश के ये ताकतवर पूर्व सीएम पॉवरलेस!

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भोपाल। मध्य प्रदेश में सत्ता परिवर्तन लंबे समय बाद हुआ है। 2003 में कांग्रेस को सत्ता से बाहर करने के बाद 15 साल सरकार चलाने में कामयाब हुई बीजेपी अब प्रदेश की सत्ता से बाहर है। वहीं, केंद्र में बीजेपी की सरकार होने के बाद भी कई दिग्गज नेता केंद्रीय सत्ता का हिस्सा नहीं हैं। कुछ ऐसा ही हाल प्रदेश में कांग्रेस के दिग्गज नेताओं का भी है। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार तो भले बन गई है लेकिन पार्टी के वरिष्ठ नेता पॉवरलेस हैं। 

प्रदेश के तीन पूर्व मुख्यमंत्री फिलाहल राज्य और केंद्री में सत्ता होने के बाद भी पॉवरलेस हैं। इनमें पूर्व सीएम उमा भारती, पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान और पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह शामिल हैं। उमा और शिवराज पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जरूर हैं लेकिन यह पद महज नाम के लिए ही है। इनको किसी बड़ी जिम्मेदारी से नहीं सौंपा गया है। उमा भारती पूर्व एनडीए सरकार में केंद्रीय मंत्री रही हैं। इस बार उन्होंने चुनाव लड़ने से मना कर दिया था। उन्होंने कहा था कि वह संगठन के लिए काम करना चाहेंगी। वहीं, शिवराज सिंह चौहान विधानसभा चुनाव में सत्ता गंवाने के बाद केंद्रीय राजनीति में नहीं जाना चाहते थे। लेकिन पार्टी ने उन्हे राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना दिया। हालांकि, उन्हें कोई और बड़ी जिम्मेदारी नहीं सौंपी गई है। सूत्रों के मुताबिक शिवराज खुद भी प्रदेश की सियासत को छोड़ना नहीं चाहते हैं। 

भोपाल लोकसभा हारने के बाद दिग्विजय सिंह लगातार दौरे कर रहे हैं। वह राजधानी में हार के कुछ दिन बाद एक बार फिर सक्रिय हो गए हैं। लेकिन उनके पास भी कोई बड़ा पोर्टफोलिया फिलहाल नहीं है। वह विधानसभा चुनाव के समय पार्टी द्वारा समन्वयक बनाए गए थे। उन्होंने पार्टी संगठन को एकजुट करने की अहम भूमिका निभाई थी। लेकिन फिर भी राष्ट्रीय स्तर की बात की जाए तो उनके पास फिलहाल कोई दमदार पद नहीं है। लोकसभा चुनाव हारने के बाद वह पूरी तरह से केंद्रीय राजनीति से बाहर हैं। हालांकि, वह राज्य सभा सांसद हैं लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस संगठन में उनकी पकड़ कम हुई है। वह अब अपना ज्यादा समय भोपाल और दिल्ली में बिता रहे हैं। वह भोपाल में रहकर अपने पुत्र जयवर्धन सिंह को गाइड कर रहे हैं। 

गौर भी हुए सत्ता से बाहर

विधानसभा चुनाव के समय बीजेपी पर दबाव बनाने और पार्टी को बैकफूट पर लाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर बीते छह महीने से राजनीति से दूर हैं। उनकी तबीयत कुछ दिनों पहले काफी खराब थी। जिस वजह से उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया था। उनके अलावा कैलाश जोशी भी लंबे समय से बीमार तल रहे हैं। यह दोनों ही कद्दावर नेता पार्टी और संगठन दोनों से ही दूरी बनाए हुए हैं। 


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