वीसी की जान बचाने के लिए हाई कोर्ट जज की कार छीनने वाले छात्रों के बचाव में शिवराज, MP हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र, बोले -“माफ़ करें मिलॉर्ड”

Shivraj Singh Chouhan

MP News : ट्रेन से यात्रा कर रहे शिवपुरी की पीके यूनिवर्सिटी के वीसी प्रोफ़ेसर रंजीत सिंह की तबियत ख़राब होने के बाद उन्हें अस्पताल पहुँचाने वाले अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के दोनों छात्र अभी जेल में हैं, न्यायालय ने उनकी जमानत याचिका को ये कहकर ख़ारिज कर दिया कि किसी की मदद करने के लिए कार को जबरज छीनकर ले जाना उचित नहीं है, आपको बता दें कि पुलिस ने इसमें डकैती अधिनियम की धाराओं में मामला दर्ज किया है, ABVP इस मामले में आंदोलन कर रही है और नरमी बरतने की मांग कर रही है उधर अब पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने भी मप्र हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर दोनों छात्रों की क्षमा करने का अनुरोध किया है।

पूर्व सीएम शिवराज सिंह ने क्यों लिखा मुख्य न्यायाधीश को पत्र?  

पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मप्र हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को  आज शुक्रवार 15 दिसंबर को एक पत्र लिखा है, शिवराज ने लिखा मुरैना से ग्वालियर तक घटे पूरे घटनाक्रम का जिक्र पत्र में किया है और कहा है कि दोनों छात्र हिमांशु और सुकृत ने जो किया उसमें उनकी भावना वीसी की किसी भी स्थिति में जान बचाना था।

गिरफ्तार ABVP छात्रों के अपराध को क्षमा करने की गुजारिश क्यों की शिवराज ने?

उन्होंने लिखा कि चूँकि ये अलग तरह का मामला है जिसमें पवित्र उद्देश्य के साथ अपराध किया गया है दोनों छात्रों ने ये अपराध मानवीय आधार पर सहयोग एवं जान बचाने के अभिप्राय से किया है छात्रों का भाव द्वेष या आपराधिक कार्य का नहीं था , चूँकि ये अपराध है लेकिन क्षमा योग्त कृत्य भी है, मेरा आपसे अनुरोध है कि उच्च न्यायालय स्वतः संज्ञान लेकर दोनों छात्रों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए दर्ज प्रकरण को वापस लेकर छात्रों को क्षमा करने की कृपा करें।

वीसी की जान बचाने के लिए हाई कोर्ट जज की कार छीनने वाले छात्रों के बचाव में शिवराज, MP हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र, बोले -"माफ़ करें मिलॉर्ड"


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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