भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। उत्तर प्रदेश के बाद अब मध्य प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों और पेंशनरों (UP Employees and Pensioners ) को भी कैशलेस इलाज की सुविधा का लाभ मिल सकता है।इसके लिए यूपी की तर्ज पर प्रदेश क शिवराज सरकार कैशलेस बीमा योजना लाने की तैयारी में है। ताजा मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस संबंध में स्वास्थ्य और वित्त विभाग के बीच चर्चा हो चुकी है और अब प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है, जिसे जल्द सीनियर सेक्रेटरी की कमेटी के पास भेजा जाएगा। यहां से मंजूरी मिलने के बाद इसे कैबिनेट बैठक में पेश किया जाएगा।
अभी तक यूपी, राजस्थान, महाराष्ट्र सहित कई राज्यों में कर्मचारियों पेंशनरों को फ्री इलाज की सुविधा दी जाती है, लेकिन जल्द एमपी के कर्मचारियों को भी इसका लाभ मिल सकेगा।मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, प्रस्तावित बीमा योजना के तहत 7 लाख कर्मचारी और पेंशनर्स इसके दायरे में आएंगे।लेकिन 5 लाख रुपए तक का इलाज कैशलेस और उससे ऊपर के इलाज के लिए कैबिनेट की विशेष अनुमति जरूरी होगी।प्रारंभिक आकलन के हिसाब से 3600 करोड़ रुपए हर साल प्रीमियम के जमा होंगे। अलग अलग लेवल के कर्मचारियों के बीमा की राशि का प्रीमियम अलग अलग काटा जाएगा। प्रीमियम की राशि को लेकर अभी अंतिम फैसला होना है।
हालांकि हाल ही में राज्य सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के इलाज के लिए नए नियम जारी किए है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, राज्य में 5 लाख सरकारी कर्मचारी हैं, जिनके इलाज के लिए 180 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। नए नियमों के अनुसार, पिछले महीने तक कर्मचारी स्वास्थ्य नियमों के हिसाब से 3000 रुपए तक की राशि चिकित्सक से परामर्श के बाद ले सकते थे, लेकिन अब कर्मचारी चिकित्सक की सलाह पर साल में 8000 रुपए का इलाज घर पर स्वास्थ्य लाभ लेकर कर सकते हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सिविल सर्जन की अनुमति के बाद पहले 3000 रुपए का इलाज लेने के बाद कर्मचारी 2 लाख रुपए तक का इलाज ले सकते थे, अब ये लिमिट 20 हजार रुपए होगी। यदि बीमारी गंभीर है तो उन्हें अस्पताल में भर्ती होना होगा, जिसमें सीजीएचएस स्कीम में कवर बीमारियों का इलाज मिलेगा।इसका लाभ प्रदेश के लाखों कर्मचारियों को मिलेगा।
बता दे कि पिछली कमलनाथ सरकार ने कर्मचारियों के लिए मुख्यमंत्री कर्मचारी स्वास्थ्य बीमा योजना की शुरुआत की थी,इसके तहत साढ़े 12 लाख कर्मचारियों को जोड़ने का लक्ष्य रखा था।वही पेंशनरों को भी लाभ दिया जाना था, लेकिन सरकार की गिरने-बनने में मामला अटक गया, जिसे फिर से शुरू करने की कवायद तेज हो गई है। हालांकि क्या नए नियम क्या होंगे, किस तरह से पेंशनरों को इसका लाभ मिलेगा और कब से ये योजना लागू होगी इसकी तस्वीर अभी साफ नहीं है।