MP के छात्रों के लिए गुड न्यूज, इस योजना अंतर्गत 51 लाख 85000 की राशि मंजूर, जानें पात्रता

Pooja Khodani
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट।मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सरकार लगातार प्रयासरत है। एकलव्य शिक्षा विकास योजना (Eklavya Education Development Scheme) में तेन्दूपत्ता संग्राहकों के 515 छात्रों को 51 लाख रूपये से ज्यादा की सहायता प्रदान की गई है। शिक्षा के लिए तेन्दूपत्ता संग्राहकों के 515 बच्चों को 51 लाख रूपये से ज्यादा की सहायता दी गई है।खास बात ये है कि अब तक 12 हजार से ज्यादा छात्र-छात्राओं को 10 करोड़ 51 लाख से अधिक की राशि स्वीकृत की गई है।

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दरअसल, “एकलव्य शिक्षा विकास योजना” में प्रदेश के वन क्षेत्रों में निवासरत तेन्दूपत्ता संग्राहकों के होनहार बच्चों को उत्कृष्ट शिक्षा संस्थानों  में प्रवेश और उनके शिक्षा व्यय की प्रतिपूर्ति की जाती है। इस वित्त वर्ष में शैक्षणिक सत्र 2019-20 के 515 छात्र-छात्राओं को 51 लाख 85 हजार रूपये की राशि मंजूर की जा चुकी है।राज्य लघु वनोपज संघ के प्रबंध संचालक  पुष्कर सिंह ने बताया कि नवम्बर 2010 से प्रारंभ “एकलव्य शिक्षा विकास योजना” में अब तक 12 हजार से ज्यादा छात्र-छात्राओं को 10 करोड़ 51 लाख से अधिक की राशि स्वीकृत कर उपलब्ध कराई गई है।

जानें पात्रता

तेन्दूपत्ता संग्राहक के लिए यह जरूरी है कि पिछले 5 वर्ष में से कम से कम तीन वर्षों में न्यूनतम एक मानक बोरा तेन्दूपत्ता का संग्रहण किया गया हो। फड़ मुंशी और समिति प्रबंधक द्वारा कम से कम तीन वर्षों में तेन्दूपत्ता सीजन में कार्य करने पर तेंदूपत्ता संग्राहक के बच्चों की शिक्षा (Education) के लिए सहायता दी जाती है। बच्चों को योजना का लाभ लेने के लिए पिछली वार्षिक परीक्षा में 60 प्रतिशत अंक लाना जरूरी है।

अधिकतम 50 हजार रूपये की सहायता

योजना में व्यवसायिक कोर्स के विद्यार्थियों को वार्षिक 50 हजार रूपये दिए जाते हैं। गैर तकनीकी स्नातक विद्यार्थियों को 20 हजार रूपये, कक्षा 11वीं एवं 12वीं के विद्यार्थियों को 15 हजार रूपये और कक्षा 9वीं एवं 10वीं उत्तीर्ण करने वाले विद्यार्थियों को 12 हजार रूपये की वार्षिक सहायता दी जाती है। योजना में विद्यार्थियों को निर्धारित राशि की सहायता के अलावा शिक्षण शुल्क, पाठ्य-पुस्तकें, छात्रावास व्यय के साथ वर्ष में एक बार अपने घर आने-जाने का यात्रा व्यय भी दिया जाता है।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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