भोपाल। प्रदेश में सरप्लस बिजली की उपलब्धता के बावजूद भी लगातार हो रही कटौती से कमलनाथ सरकार की जमकर किरकिरी हो रही है। ऐसे में सरकार अब कटौती के लिए आउटसोर्स कर्मचारियों की जिम्मेदारी बनाने जा रही है। क्योंकि फीडर स्तर पर बिजली कंपनियों ने भाड़े के आदमियों को ठेकेदार के माध्यम से रखा है। यही कर्मचारी बिजली कटौती को अंजाम दे रहे हैं। अब सरकार ने सभी बिजली कंपनियों में आउटसोर्सिंग पर रखे गए सभी कर्मचारियों की जांच के आदेश दे दिए हैं।
पिछले कुछ महीनों में बिजली कटौती के आंकड़े बढ़े हैं। खासकर ग्रामीण क्षेत्र में पिछले सालो की अपेक्षा इस बार ज्यादा अघोषित बिजली गुम हो रही है। सरकार ने गुप्तचर विभाग से पता किया है कि कटौती में दूर-दराज के इलाकों में फीडर पर पदस्थ कर्मचारियों की मनमानी की वजह से हो रहा है। खास बात यह है कि ऐसे कर्मचारियों की बिजली कंपनी में कोई भूमिका नहीं होगी। ऐसे कर्मचारियों को पहले मजबूरी पर रखा जाता है फिर कंपनी में अस्थाई तौर पर काम पर रख लिया जाता है। प्रदेश में ग्रामीण क्षेत्र में स्थापित बिजली फीडरों पर स्थानीय युवा तैनात हैं, इनमें से ज्यादातर युवा भाजपा से जुड़े हैं।
भर्ती में अनियमितता की होगी जांच
ऊर्जा मंत्री प्रियव्रत सिंह ने कहा कि विद्युत वितरण कम्पनियों के आउटसोर्स कर्मचारियों के संबंध में नीतिगत निर्णय लिया जायेगा। आउटसोर्स कर्मचारियों की भर्ती में अनियमितता करने वाले अधिकारियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जायेगी। ऊर्जा मंत्री ने अपर मुख्य सचिव ऊर्जा को ग्वालियर, राजगढ़ और शिवपुरी में मिली शिकायतों की जाँच करवाने के निर्देश दिये।
सिंह ने कहा कि 7वें वेतन आयोग से संबंधित विसंगतियों का निराकरण किया जायेगा। अनुकम्पा नियुक्ति के प्रकरणों पर जल्द निर्णय लेने के साथ ही कर्मचारियों के लिये स्वास्थ्य बीमा योजना बनाने पर भी विचार किया जायेगा। विद्युत वितरण कर्मचारियों की सुरक्षा के लिये सुरक्षा अधिनियम बनाने के संबंध में चर्चा के बाद निर्णय लिया जायेगा। कम्पनी के स्ट्रक्चर के संबंध में कर्मचारी संगठनों से भी बात की जायेगी। ऊर्जा मंत्री ने कहा कि घर-घर बिजली पहुँचाने में कर्मचारियों का योगदान सराहनीय है।