भोपाल।
अपनी मांगों को लेकर प्रदेश के सभी 13 सरकारी मेडिकल कॉलेजों के 3300 चिकित्सा शिक्षकों का खिलाफ आंदोलन जारी है। गुरुवार को भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज के 310 डॉक्टरों ने अपनी मांगों को लेकर इस्तीफा सौंप दिया था।आज शुक्रवार को जयारोग्य मेडिकल कॉलेज के 300 डॉक्टरों ने डिकल कॉलेज की डीन डॉ सरोज कोठारी और संभागीय आयुक्त एमबी ओझा को अपना इस्तीफा सौंपा ।बाकी मेडिकल कॉलेजों के 3300 सीनियर डॉक्टर डीन को आज इस्तीफा सौंपेंगे। इसके बाद 9 जनवरी से काम बंद कर देंगे।
दरअसल, मेडिकल टीचर्स अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। सिंतबर में भी आंदोलन किया गया था। तब दो दिन तक प्रदेश के मेडिकल टीचर्स ने काम नहीं किया था। सरकार ने मेडिकल टीचर्स की सारी मांगे मानने का आश्वासन दिया था। लेकिन मांगें पूरी नहीं होने के बाद सेंट्रल मेडिकल टीचर एसोसिएशन की बैठक में इस्तीफ़ा देना का एलान किया गया था।इसके बाद एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने जन संपर्क मंत्री पीसी शर्मा से मुलाकात की, लेकिन कोई लाभ नही मिला। इसके बाद गुरुवार को मंत्रालय में चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ, प्रमुख सचिव शिवशेखर शुक्ला की मौजूदगी में मप्र मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों की बैठक हुई। मंत्री ने कहा कि हम आपकी मांगों पर विचार कर रहे हैं। आंदोलन को लेकर जल्बाजी मत करो।लेकिन एसोसिएशन इससे भी सहमत नही हुआ और अब कॉलेजों के डीन को सामूहिक इस्तीफा सौंपकर 9 जनवरी से काम बंद करने का निर्णय लिया है। अब तक कईयों ने अपना इस्तीफा सौंप दिया और बाकी आज सौंपेंगे।
यह है मांगें
– सहायक प्राध्यापक, सह प्राध्यापक, प्राध्यापक को 13 साल व प्रदर्शक-ट्यूटर को 16 साल की सेवा के बाद क्रमिक उच्चतर वेतनमान जनवरी 2016 से दिया जाए।
– विसंगतियां दूर कर 1 जनवरी 2016 से सातवां वेतनमान दिया जाए। नॉन प्रैक्टिसिंग अलाउंस (एनपीए) भी सातवें वेतनमान के अनुरूप दिया जाए।
– सभी सरकारी विभागों में चाइल्ड केयर लीव महिलाओं की दी जा रही है, जबकि चिकित्सा शिक्षा विभाग में बंद कर दी गई है। इसे फिर शुरू किया जाए।
– चिकित्सा शिक्षकों को सिर्फ 3300 रुपए चिकित्सा प्रतिपूर्ति मिलती है, जबकि अन्य विभागों में इलाज में जितना खर्च होता है, उतनी राश्ाि दी जाती है।
– चिकित्सा शिक्षकों को ग्रेच्युटी नहीं मिल रही है।
– राष्ट्रीय पेंशन योजना के तहत सभी विभागों के अधिकारी-कर्मचारियों को पेंशन दी जाती है पर चिकित्सा शिक्षा विभाग इसमें शामिल नहीं है।