भोपाल।
मध्यप्रदेश(madhya pradesh) में शिवराज सरकार(shivraj) की वापसी के बाद लगातार कमलनाथ(kamalnath) सरकार द्वारा की गई नियुक्तियां(appointments) रद्द(cancel) की जा रही है। जिसके साथ ही महाधिवक्ता कार्यालय में बदलाव की प्रक्रिया को शासकीय अधिवक्ताओं द्वारा हाईकोर्ट(highcourt) में चुनौती दी गई है। जिसके लिए हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार से जवाब मांगा है। वहीं इस मामले में अगली सुनवाई 11 मई को होगी।
दरअसल प्रदेश में शिवराज सरकार की वापसी के बाद वह अधिवक्ता कार्यालय में अधिवक्ताओं की टीम बदलने की प्रक्रिया को हाईकोर्ट में चुनौती मिली है। जहां अधिवक्ताओं(Advocates) ने याचिका दायर करके मांग की है कि उनके कार्यकाल पूरा होने तक उन्हें ना हटाया जाए। बता दे कि कांग्रेस(congress) के कमलनाथ सरकार ने दिसंबर 2018 में महाधिवक्ता कार्यालय में शासकीय अधिवक्ताओं की नियुक्ति की थी। जिसके बाद 13 मार्च को उन अधिवक्ताओं के कार्यकाल में 1 साल की वृद्धि की गई थी। जिसके साथी सरकार बदलने एवं शिवराज सरकार की सत्ता में वापसी के बाद इन अधिवक्ताओं को इनके पद से हटा दिया गया था। जिसके बाद अधिवक्ताओं ने इस मामले में याचिका दायर की है।
वहीं दूसरी तरफ अधिवक्ताओं का कहना है कि जब उन्हें हटाया गया तो प्रदेश में केवल मुख्यमंत्री ही थे। ने कैबिनेट का विस्तार हुआ था और ना ही कैबिनेट की मंजूरी मिली थी। ऐसी स्थिति में बिना किसी कारण उन्हें हटाना असंवैधानिक है। अतिरिक्त अभिनव दुबे, अमिताभ गुप्ता सहित एक दर्जन अधिवक्ताओं ने दलील दी है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देश जा निर्देश के मुताबिक कोई भी आदेश मनमानी से नहीं लिया जाना चाहिए। इसी बीच ओबीसी एडवोकेट वेलफेयर एसोसिएशन और ओबीसी एससीएसटी एकता मंच ने भी याचिका दायर कर मांग की है कि अधिवक्ताओं की नियुक्ति में आरक्षण के नियम को लागू किया जाए।