जबलपुर, संदीप कुमार
पहले राजीव गांधी आवास योजना और फिर प्रधानमंत्री आवास योजना, सरकार का सिर्फ एक उद्देश्य है कि देश के हर नागरिक के पास उसका स्वयं का एक मकान हो ,मकान भले ही छोटा हो पर अपना हो इसी को लेकर केंद्र सरकार ने राज्य सरकार के साथ मिलकर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान बनवाए पर यही आशियाना आज खण्डहर बन गया है।
मध्यप्रदेश के जबलपुर में भी इन आशियानों के हालात यही है अरबो रुपए खर्च कर बनाए गए ये आशियाने आज खंडहर में तब्दील हो गए है। सरकारी नुमाइंदे जहाँ इस बदहाली को वित्तीय स्थिति खराब होनी की वजह बता रही है, तो वही जनप्रतिनिधि इसे सरकार बदलने का कारण बता रहे है।
जबलपुर में 6 स्थानों में बन रहे है प्रधानमंत्री आवास योजना के मकान
संस्कराधानी जबलपुर में भी नगर निगम शहर के छह अलग अलग स्थानों में आवास बनवा रहा था।निगम ने लक्ष्य रखा था कि 2022 तक ये आवास हर उस व्यक्ति को आवंटित हो जाएंगे जिनके पास मकान नही है और जिन्होंने बुकिंग करवाई है। पर वर्तमान की हालत देखते हुए ये कहना है जल्दबाजी होगी कि वाकई में हर व्यक्ति के पास उसका खुद का मकान होगा। जबलपुर के मोहनिया,तेवर,तिलहरी और कुदवारी में ये मकान बन रहे है।
वित्तिय स्थिति खराब होने का है निगम के पास बहाना
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत के मकान बनवाने का काम 2017 मे हुआ था पर तीन साल में इन मकानों के सिर्फ स्ट्रेक्चर ही खड़ा हो पाए है। निगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि शुरू में सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था पर बीच मे निगम की वित्तीय स्थिती गड़बड़ा गई जिसके चलते आवास योजना के काम रुक गए थे। अभी भी निगम लगातार लोन का प्रयास कर रहा है जैसे ही लोन मंजूर होता है वैसे ही काम शुरू हो जाएगा और कोशिश भी की जा रही है कि 2022 तक प्रधानमंत्री आवास योजना के मकान बन जाए।
करीब 8 हजार घर बन रहे है जबलपुर में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत
जबलपुर नगर निगम शहर के छह स्थानों को चिन्हित कर उसमें करीब 8 हजार घर बनवा रहा है। सभी घरों के स्थान अलग अलग होने के कारण उनके दाम भी अलग है।शुरुआती कीमत नगर निगम में सात लाख से 8 लाख रुपए रखी है, जो कि ews के है। वही lig के घर 15 लाख रुपए से स्टार्ट है, इसके अलावा mig के मकान 18 लाख रुपए के है। सभी मकानों में केंद्र सरकार से डेढ़ लाख रु का अनुदान भी मिलेगा।
आवास हुए अधूरे तो कमलनाथ सरकार पर लगे आरोप
तय समय के बाद भी जब प्रधानमंत्री आवास योजना बनकर पूरे नही हो पाए तो इसका आरोप 15 माह की कमलनाथ सरकार पर उठ रहे है। भाजपा का आरोप है कि जब तक प्रदेश में बीजेपी की सरकार थी तब तक आवास योजना का काम सही चल रहा था पर जब करीब 15 माह तक कांग्रेस सरकार रही तो आवास योजना का बजट प्रदेश सरकार ने रोक लिया। वही भाजपा ने ये भी कहा कि निश्चित रूप से निगम अधिकारियों की हीला हवाली और प्रोजेक्ट की निगरानी न होना भी आज इन आशियानों के खंडहर होने की वजह है।