भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश में उपचुनाव (by election) में मिली अभूतपूर्व सफलता के बाद अब सीएम शिवराज सिंह चौहान (cm shivraj singh chauhan) के मंत्रिमंडल में 5 स्थान खाली हो गए हैं। ऐसे में अब सबकी नजर शिवराज कैबिनेट के विस्तार (cabinet expansion) पर है।
दरअसल दो मंत्री गोविंद सिंह राजपूत और तुलसी सिलावट छह माह का कार्यकाल पूरा होने के कारण 23 अक्टूबर को पद से इस्तीफा दे चुके हैं। हालांकि वे दोबारा चुनकर विधायक (mla) बन गए हैं लेकिन तीन मंत्री इमरती देवी, एन्दल सिंह कंसाना और गिर्राज दंडोतिया चुनाव हार गए हैं। ऐसे में अब रिक्त स्थानों की पूर्ति के लिए सबकी निगाहें इस बात पर टिकी है कि शिवराज मंत्रिमंडल का विस्तार कब करेंगे। हालांकि सूत्रों की मानें तो फिलहाल शिवराज मंत्रिमंडल विस्तार के मूड में नहीं हैं। वह इस बात के संकेत भी दे चुके हैं कि अभी मंत्रिमंडल विस्तार की कोई जल्दी नहीं। दरअसल मंत्रिमंडल में जगह पाने स्थिति यह है कि एक अनार सौ बीमार वाली कहावत चरितार्थ साबित हो रही है।
जीते हुए दोनों विधायक गोविंद सिंह राजपूत और तुलसीराम सिलावट का मंत्री बनना तय है ।उसके साथ-साथ सिंधिया खेमे (scindia supporter) के तीन मंत्रियों के हारने के बाद अब उनके स्थान पर किसे लिया जाए, यह बड़ा प्रश्न है। क्योंकि बीजेपी (bjp) में भी दावेदारों की एक लंबी फेहरिस्त है। विध्य के विधायक केदार शुक्ला पहले ही विंध्य क्षेत्र की दावेदारी को लेकर दावा ठोंक चुके हैं। इसके साथ साथ पूर्व मंत्री रह चुके अजय विश्नोई, रामपाल सिंह, संजय पाठक और राजेंद्र शुक्ला भी कतार में खड़े हैं। यह तो वे नाम है जो बहुचर्चित हैं, लेकिन इनके अलावा भी बीजेपी में कई ऐसे चेहरे हैं जो कई बार के विधायक हो चुके हैं मगर अभी तक मंत्री पद नहीं पा सके हैं। ऐसे लोगों को भी मंत्रिमंडल में जगह कैसे दी जाए, यह भी एक बड़ी चुनौती है। सिंधिया खेमे से भी किसी जगह मिलेगी, यह भी देखने वाली बात होगी क्योंकि फिलहाल तीन मंत्रियों के हारने के बाद सिंधिया किसके लिए दावेदारी पेश करते हैं यह भी अपने आप में बड़ी अहम बात होगी। लेकिन परिस्थितियों को देखते हुए फिलहाल लगता नहीं कि शिवराज इस साल अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करेंगे। हारे हुए मंत्रियों में से एन्दल सिंह कंसाना इस्तीफा दे चुके हैं लेकिन इमरती देवी ने इस बात के साफ संकेत दे दिए हैं इस्तीफा नहीं देंगी क्योंकि नियमानुसार बिना विधायक बने एक जनवरी 2021 तक मंत्रीपद पर रह सकते हैं। गिर्राज दंडोतिया की ओर से भी अभी फिलहाल इस्तीफे के कोई संकेत नहीं मिले हैं। ऐसे में देखने वाली बात होगी कि मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर सीएम शिवराज क्या निर्णय लेते हैं।