भोपाल। चुनाव लोकसभा का हो या फिर विधानसभा का इसकी व्यवस्थाओं पर होने वाला खर्च करोड़ों में होता है। प्रशासन को इसके लिए करोड़ों की राशि का इंतजाम करना और उसकी सही तरह से खर्च करने की बड़ी जिम्मेदारी होती है। चुनाव ऐसा पर्व है जिस पर करोड़ खोर्च करने के बाद कोई रिफंड या फिर मुनाफे का रास्ता नहीं होता। लेकिन एक तरीका ऐसा है जिससे सरकार को चुनाव के सहारे करोड़ो की इनकम भी हो जाती है। वह है उम्मीदवारों की जमानत जब्ती से। हर पांच साल में होने वाले चुनाव से सरकार को करीब 80 फीसदी उम्मीदवारों की जमानत जब्ती से करोड़ों की आय होती है। इनमें ज्यादातर हारने वाले निर्दलीय प्रत्याशी होते हैं। लेकिन कभी कभी नतीजे चौंकाने वाले भी होते हैं। राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों की भी जमानत जब्त हो जाती है। लेकिन 99 फीसदी मामलों में निर्दलीय उम्मीदवार अपनी जमानत बचाने में नाकाम ही रहे हैं।
बीते तीन विधानसभा चुनाव में सरकार ने छह करोड़ कमाए
चुनाव आयोग के मुाताबिक बीते तीन विधानसभा चुनाव में राज्य सरकार को जमानत जब्ती से करीब 6 करोड़ की आय हुई है। 2003 में 2,171 उम्मीदवारों ने विधानसभा चुनाव में नामांकन किया था। इनमें से 1,655 यानी 76 फीसदी उम्मीदवारों की जमानत जब्ती हो गई थी। 2008 में उम्मीदवारों की संख्या 3,179 और 2,654 की जमानत जब्त हो गई थी। इस बार 83 फीसीद उम्मीदवार अपनी जमानत नहीं बचा सके थे। 2013 चे चुनाव में 2583 उम्मीदवार मैदान में थे, इनमें से 2080 की जमानत जब्त हो गई थी।
क्या है निमय
नियामानुसार जिन उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किया है उन्हें नामांकन के साथ ही 10 हजार सामान्य वर्ग और 5 हजार एससी एसटी वर्ग के उम्मीदार को जमा करना होता है। सभी प्रत्याशियों को चुनाव लडऩे के लिए जमानत के रूप में चुनाव आयोग के पास एक निश्चित रकम जमा करनी होती है। जब प्रत्याशी निश्चित प्रतिशत मत हासिल नहीं कर पाता, तो उसकी जमानत जब्त हो जाती है यानी यह राशि आयोग की हो जाती है।
विधान सभा के लिए प्रतिभूति जमा राशि कितनी है?
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 34(1)(ख) के अनुसार विधान सभा का निर्वाचन लड़ने वाले सामान्यय अभ्यर्थी को 10,000/- रुपए की प्रतिभूति राशि जमा करानी होगी. अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के अभ्यर्थी को 5000/- (मात्र पांच हजार रुपए) की प्रतिभूति राशि जमा करनी होगी।
किन अभ्यर्थियों की जमानत राशि जब्त हो जाती है ?
ऐसे हारे हुए अभ्यर्थी की, जो किसी निर्वाचन क्षेत्र में डाले गए कुल विधिमान्य मतों की संख्या के छठे भाग से अधिक मत प्राप्त करने में असफल होता है, जमानत राशि जब्त हो जाती है. जैसे किसी विधानसभा सीट पर यदि 1 लाख वोटिंग हुई तो जमानत बचाने के लिए प्रत्येक प्रत्याशी को छठे भाग से अधिक यानि करीब 16 हजार 666 वोटों से अधिक वोट लेनें होंगे।