भोपाल| टीवी का चर्चित रियलिटी शो ‘बिग बॉस’ के बैकग्राउंड में एक आवाज हमेशा सुनाई देती है, जो कंटेस्टेंट से लेकर सलमान खान तक को आदेश सुनाती है| ये वही आवाज है, जो घर में मौजूद कंटेस्टेंट से टास्क कराती है, उनको सजा सुनाती है, कालकोठरी में भेजती है और जरूरत पड़ने पर उन पर हुक्म भी चलाती है| मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के मुख्यमंत्री काल में भी धीरे धीरे वल्लभ भवन की पांचवी मंजिल पर ऐसी आवाज सुनाई देने लगी थी। यह आवाज दरअसल उन चार या पांच प्रमुख नौकरशाहों की थी जिन्होंने मुख्यमंत्री के इर्द-गिर्द अपना शिकंजा इस कदर कस दिया था कि वे जो चाहते थे मुख्यमंत्री वही करते थे। सरकार का कोई विभाग ऐसा नहीं छूटा जो इन नौकरशाहों के मनमर्जी के आगे न चलता हो। इन हुक्मरानों की आवाज ही मानी जाती थी कि वह मुख्यमंत्री का आदेश है और ये प्रस्तुतीकरण भी ऐसा देते थे कि लगता था कि मुख्यमंत्री ने हीं ऐसा करने को कहा है। इन आईएएस अधिकारियों का दबदबा इस कदर था कि इन को नाराज करने का मतलब था मुख्यमंत्री के सामने खुद की इमेज खत्म करना। असर यह हुआ कि धीरे धीरे मध्य प्रदेश के ईमानदार और अच्छे काम करने वाले आईएएस अधिकारी या तो लूप लाइन वाले विभागों में चले गए या उन्होंने दिल्ली का रुख कर लिया।
एक नेक और सहदय छवि रखने वाले मुख्यमंत्री की संवेदनशीलता को इन अधिकारियों ने धीरे-धीरे जनता की नब्ज से दूर करना भी शुरू कर दिया और आखिर भी अपने मकसद में कामयाब हो गए। अब हालात यह है कि शिवराज तो मुख्यमंत्री नहीं रहे लेकिन इस चौकड़ी के सदस्य नए मुख्यमंत्री पर डोरे डालने शुरू कर चुके हैं। हैरत की बात यह है कि मध्य प्रदेश की 90 फ़ीसदी आईएएस और आईपीएस लॉबी इस चौकड़ी से नाराज है। बावजूद इसके अपने लंबे समय के अनुभव और प्रशासन पर पकड़ के चलते यह अधिकारी कमलनाथ के नजदीक जाने की कोशिशें लगातार तेज किए हुए हैं। अधिकारियों का मानना है कि यदि यह अधिकारी एक बार फिर मध्य प्रदेश की सत्ता की कमान अपने हाथों में लेने में सफल रहे तो कमलनाथ का हश्र भी वही होगा जो शिवराज का हुआ