भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में उपचुनाव (By-election) के बाद अब निकाय चुनाव (Body Election) होने वाले है। जिस्को लेकर सभी पार्टियां (All Parties) अपनी कमर कस रही है। चुनावों में बीजेपी के मुकाबले कमजोर हो रही कांग्रेस अब अपना नया एक्शन प्लान (Action Plan) तैयार कर रही है।
पार्टी अब बुजुर्ग नेताओं (Elderly Leaders) को किनारे करने के मूड में है और युवाओं (Youth) के जरिये अपनी जीत की रूपरेखा तैयार करने की तैयारी कर रही है। इसके लिए पीसीसी चीफ कमल नाथ (PCC Chief Kamal Nath) ने ‘प्लान यूथ’ (Plan Youth) तैयार किया है।
दरअसल, लगातार बीजेपी (BJP) से हर चुनावों में मिल रही पटखनी से कांग्रेस (Congress) का प्रदेश में ग्राफ लगातार गिरते जा रहा है। ऐसे में कांग्रेस अपनी रणनीति में बदलाव कर युवाओं के जरिए खुद को मजबूत करने की तैयारी में है और बुजुर्ग नेताओं को पार्टी ने मार्गदर्शकों की सूची में डालने की प्लान बनाया है। कांग्रेस के नए प्लान के मुताबिक युवाओं को 70 प्रतिशत और बुजुर्ग नेताओं 30 प्रतिशत जिम्मेदारियां दी जाएगी।
जल्द ही पार्टी अपनी जिला इकाइयों को भंग कर नई इकाइयों के गठन करने जा रही है, जिसमे युवाओं को तवज्जों दी जाएगी। वहीं प्रदेश की इकाई में भी युवाओं को स्थान देने की बात कही जा रही है। इसके तहत युवा कांग्रेस आए एनएसयूआई से आए युवाओं को पार्टी संगठन में जिम्मेदारियां सौंपी जाएगी। संगठन का नया स्वरूप एक महीने में पूरा होने की उम्मीद है।
यूथ प्लान पर बीजेपी साध रही निशाना
उधर कांग्रेस के प्लान यूथ पर बीजेपी ने निशान साधा है। प्रदेश सरकार में मंत्री इंदर सिंह परमार (Inder Singh Parmar) का कहना है कि, युवाओं को मौका देने की बात कांग्रेस का सिर्फ दिखावा है। युवाओं का कांग्रेस पार्टी से मोह भंग हो चुका है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी में एक ही परिवार सब कुछ है। इस पार्टी में हमेशा से बुजुर्ग नेता हस्तक्षेप करते आए है।
BJP की तुलना में कांग्रेस का संगठन कमजोर
असल में मध्य प्रदेश में बीजेपी संगठन के मुकाबले कांग्रेस पार्टी का संगठन काफी ज्यादा कमजोर है जो उसके लिए बड़ी परेशान है। पार्टी को इस परेशानी से उबरने के लिए कमल नाथ अब युवाओं पर दांव खेलने की तैयारी कर रहें है, जिसके लिए उन्होंने प्लान युथ तैयार किया है। फिलहाल प्रदेश में कांग्रेस दो चेहरे कमल नाथ (Kamal Nath) और दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) के साथ खड़ी है। यह दोनों नेता भी 70 वर्ष वाले जोन में आते है। ऐसे सवाल यह उठाते है कि क्या सिर्फ संगठन के निचले स्तर पर फेरबदल से पार्टी को मजबूती मिलेगी या फिर प्रदेश का पार्टी नेतृत्व भी युवाओं को सौंपी जानी चाहिए।