रतलाम।
रतलाम-झाबुआ सीट से बीजेपी ने वर्तमान झाबुआ विधायक जीएस डामोर को उम्मीदवार बनाया है। डमोर वर्तमान सांसद और कांग्रेस प्रत्याशी कांतिलाल भूरिया को चुनौती देंगें। डामोर वही है जिन्होंने हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान कांतिलाल भूरिया के बेटे विक्रांत भूरिया को हराया था और अब पिता से मुकाबला करेंगें। यह देखना बड़ा ही दिलचस्प होगा कि कांतिलाल बेटे विक्रांत की हार का बदला ले पाते है या बेटे की तरह डामोर से मात खाते है। अगर ऐसा हुआ तो डामोर का कद ना लोगों के बीच बल्कि संगठन में भी बढ़ेगा, वही वह पहले विधायक होंगें जिसने पिता पुत्र को हराया हो।
दरअसल, बीजेपी ने आज तीन उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की है, जिसमें एक विधायक को टिकट दिया गया है। विधानसभा में झाबुआ से बेटे विक्रांत भूरिया को हराने वाले जीएस डामोर का मुकाबला रतलाम-झाबुआ लोकसभा सीट वर्तमान सांसद कांतिलाल भूरिया के सामने उतारा है।भूरिया जहां 1998, 1999, 2004 और 2009 में लोकसभा चुनाव चुनाव जीत चुके हैं और कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में से एक जाने जाते है वही डामोर वर्तमान में झाबुआ से विधायक है। इससे पहले वे भोपाल में पीएचई में नौकरी करते थे और रिटायर्ड होने के बाद राजनीति में आए। हालांकि भाजपा में पहले विधायकों को लोकसभा चुनाव नहीं लड़ाने की रणनीति बनी थी, लेकिन कांग्रेस के कब्जे वाली रतलाम सीट पर भाजपा ने चार महीने पहले विधानसभा चुनाव जीते डामोर पर फिर दांव लगाया है। ऐसे में भाजपा को एक विधायक कम होने का भी डर है।
क्या बेटे की हार का बदला ले पाएंगें भूरिया या फिर मिलेगी मात
रतलाम लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी गुमान सिंह डामोर वर्तमान में झाबुआ के विधायक हैं। उन्होंने हाल ही में सांसद कांतिलाल भूरिया के बेटे विक्रांत भूरिया को हराया था।हालांकि विक्रांत की हार में और डामोर की जीत में कांग्रेस के बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़े जेवियर मेड़ा ने अहम भूमिका निभाई थी।लोकसभा चुनाव में भी मेड़ा भूरिया का खेल बिगाड़ने की फिराक में थे, लेकिन कुछ दिनों पहले पार्टी ने मेड़ा को मना लिया है और अब वे कांग्रेस के समर्थन में प्रचार-प्रसार कर रहे है। अब समीकरण बदल गए है, ऐसे में डामोर के लिए जीत हासिल करना चुनौती होगी ।वही बेटे की हार का बदला लेना भूरिया के लिए अग्निपरीक्षा से कम नही होगा।दोनों नेताओं के बीच मुकाबला रोमांचक होने वाला है। अगर भूरिया जीते तो बेटे की हार का बदला पूरा होगा और अगर डामोर जीते तो वे पहले विधायक होंगें जिसने बेटे को विधानसभा और पिता को लोकसभा चुनाव में हराया होगा।
6 पर कांग्रेस और 2 बीजेपी
विधानसभा चुनावों में झाबुआ की तीन में से दो पर कांग्रेस और एक पर भाजपा विजयी हुई है। वहीं रतलाम की तीन में से दो पर कांग्रेस और एक पर भाजपा तथा अलीराजपुर की दो में से दो पर कांग्रेस का कब्जा है। इस प्रकार कुल आठ विधानसभा सीटों में छह कांग्रेस के और दो भाजपा के पास है।
ऐसा रहा है इस सीट का इतिहास
रतलाम लोकसभा सीट को पहले झाबुआ लोकसभा सीट के नाम से जाना जाता था। 2008 में परिसीमन के बाद यह रतलाम लोकसभा सीट हो गई। यह सीट अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवार के लिए आरक्षित है। 2009 में यहां पर हुए चुनाव में कांग्रेस के दिग्गज नेता कांतिलाल भूरिया ने जीत हासिल की थी। हालांकि इसके अगले चुनाव यानी 2014 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा. बीजेपी के दिलीप सिंह भूरिया ने यहां पर जीत हासिल की। दिलीप सिंह के निधन के बाद यहां पर उपचुनाव हुआ। 2015 में हुए उपचुनाव में कांग्रेस के कांतिलाल भुरिया ने एक बार फिर यहां पर वापसी की और उन्होंने बीजेपी की निर्मला भूरिया को हराया।