क्या ‘माधवराव’ के जमाने की कूटनीति को भेद पाएंगे ‘ज्योतिरादित्य सिंधिया’..?

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किस्सा कुर्सी का: मप्र विधानसभा चुनाव में मत प्रतिशत क्या बढ़ा कांग्रेस ने इसे अपनी जीत का नगाड़ा मान लिया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ की खुशी छिपाए नहीं छिप रही है। उन्होंने बयान दे डाला है कि पहले मैं कह रहा था कि हम 140 जीत रहे हैं मगर मतदान के बाद मैं कहता हूं कि चुनाव परिणाम अप्रत्याशित रहने वाले हैं। उधर मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री और 70 साल के कांग्रेसी दिग्गज दिग्विजय सिंह भी कांग्रेस की सरकार का मजबूती से दावा कर रहे हैं। उधर वनवासी कांग्रेस के चुनावी अभियान का जिम्मा संभालने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी कांग्रेस की सरकार बनने का मजबूती से विश्वास जताया है।

कांग्रेस के सपने को अगर सच मान लें तो फिर ‘किस्सा कुर्सी का’ शुरु हो जाता है। एक ही सवाल सीएम कुर्सी किसकी। दिखाए जा रहे दो चेहरों में से एक की होगी या फिर प्रचार में अनदेखे किसी तीसरे की। तो आइए खुलकर बात कर ही लें। मध्यप्रदेश की राजनीति इस समय ठीक ढाई दशक पहले के रास्ते पर संभवत खड़ी होने जा रही है। अगर कांग्रेसियों के ठोस दावे और चुनावी संभावनाओं के मुताबिक कांग्रेस 15 साल बाद सत्ता में वापिसी करती है तो ठीक पुरानी स्थिति होगी केवल पात्र बदले हुए होंगे। जीहां सवाल वही खड़ा होने जा रहा है जो ग्वालियर चंबल अंचल वालों की जुबान पर कभी रहा था।  सवाल है कि मध्यप्रदेश की कुर्सी पर सिंधिया पहुंचेंगे या फिर कोई और। इस बार ढाई दशक पहले वाले स्वर्गीय माधवराव सिंधिया की जगह ज्योतिरादित्य सिंधिया मप्र की सत्ता के दरवाजे पर खड़े हैं मगर पिता की तरह उनका रास्ता अधूरा रहेगा या पूरा होगा ये वक्त बताएगा। 


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