Madhya Pradesh Bypolls : मध्य प्रदेश में विजयपुर और बुधनी विधानसभा सीट पर 13 नवंबर को उपचुनाव होना है। पूर्व सीएम कमलनाथ ने आह्वान किया है कि विजयपुर विधानसभा की जनता के पास इस समय लोकतंत्र को पवित्र करने की ज़िम्मेदारी है। उन्होंने कहा ‘मैं मतदाताओं से अपील करता हूँ कि इस बार केवल विधायक चुनने के लिए नहीं, बल्कि दलबदल और सौदेबाज़ी रोकने के लिये मतदान करें। विजयपुर की जनता पूरे देश को यह संदेश दे कि वो धोखेबाज़ी के खिलाफ है। जनता न्याय के साथ है। जनता सत्य के साथ है।’
बुधनी में बीजेपी से रमाकांत भार्गव और कांग्रेस के राजकुमार पटेल के बीच सीधी टक्कर है। इन दोनों के साथ यहां कुल बीस प्रत्याशी मैदान में हैं। बुधनी विधानसभा क्षेत्र शिवराज सिंह चौहान का गढ़ माना जाता है और कांग्रेस के लिए यहां कड़ा मुकाबला है। वहीं विजयपुर विधानसभा सीट पर बीजेपी ने वन मंत्री रामनिवास रावत को उम्मीदवार बनाया है जबकि कांग्रेस की ओर से मुकेश मल्होत्रा चुनावी मैदान में हैं। रावत कुछ समय पहले कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे और तभी से ये सीट खाली है। वे इसी सीट से विधायक थे।
कमलनाथ ने कहा ‘केन्द्र में सत्तासीन दल कर रहे लोकतंत्र में सौदेबाज़ी’
विजयपुर और बुदनी सीटों पर हो रहे उपचुनावों को कांग्रेस बेहद गंभीरता से ले रही है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी खुद मोर्चा संभाले हुए हैं और दीपावली के बीच भी वे प्रचार में जुटे रहे। विजयपुर विधानसभा सीट पर अब तक 15 चुनाव हो चुके हैं, जिनमें 9 बार कांग्रेस और 6 बार बीजेपी को जीत मिली है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इस चुनाव से पहले एक्स पर लिखा है कि ‘लोकतंत्र में सौदेबाज़ी एक विकार है, और जब केन्द्र में सत्तासीन दल ही राज्यों में ख़रीद फ़रोख़्त और सौदेबाज़ी का मूक समर्थक बन जाये, तब इसे रोकना लगभग नामुमकिन सा हो जाता है। हमने मध्यप्रदेश, कर्नाटक, उत्तराखंड, महाराष्ट्र जैसे कई राज्यों के उदाहरण देखें हैं जब बीजेपी ने सत्ता हासिल करने के लिए बड़ी संख्या में सौदेबाज़ी और बेमेल गठबंधन कर जनता के द्वारा चुनी हुई सरकारों को गिराकर अपनी कुर्सी की भूख मिटाई है। सौदेबाज़ी से केवल एक लोकतांत्रिक सरकार की ही हत्या नहीं होती, बल्कि जनता के परिवर्तन के मूल निर्णय की भी हत्या होती है। जब ‘वोट’ से चुनी हुई सरकार को ‘नोट’ से बिके हुए नेताओं के कारण अल्पायु में मिटना पड़ता है, तब जनता के वोट की ताक़त शून्य हो जाती है।’
‘प्रजातंत्र में जनता सर्वोपरी’
उन्होंने लिखा कि ‘प्रजातंत्र में जनता को सर्वोपरी बनाया गया है। प्रजातंत्र का मतलब ही जनता का, जनता के द्वारा और जनता के लिये शासन होता है, लेकिन ख़रीद फ़रोख़्त में जनता विलोपित कर दी जाती है, और कुर्सीखोर भस्मासुर बनकर जनता पर ही राज करने लगते हैं। ख़रीद फ़रोख़्त रोकने के लिए क़ानून भी बने हैं, लेकिन जब केन्द्र सरकार ही अनैतिक समर्थन का मूल्य चुकाती है, तब क़ानून इसे रोकने में अक्षम नज़र आता है, अदालतों की अल्प इच्छाशक्ति भी ख़रीद फ़रोख़्त को संजीवनी देती है। आप खुद सोचिए ! जिस अनैतिक सौदेबाज़ी को पूरा देश समझ रहा होता है, वो सौदेबाज़ी अदालतों में जाकर नैतिक और संविधान सम्मत हो जाती है। जब सौदेबाज़ी से लोकतंत्र की हत्या का अभियान शुरू किया जाता है, तब चुनाव आयोग, विधानसभा अध्यक्ष, राज्यपाल, अदालत और सौदेबाज़ी को संरक्षण देती केन्द्र और राज्य सरकारों की भूमिका पर प्रश्न चिन्ह लगते ही हैं।’
जनता से की ये अपील
कमलनाथ ने कहा कि ‘जनता भी कुछ दिनों तक सौदेबाज़ी के खिलाफ मुखर होती है, क्रोध और ग़ुस्सा दिखाई देता है, फिर उपचुनाव आते-आते सौदेबाज़ नेता नकाब बदलकर सत्तासीन दल के लावा लश्कर के साथ फिर वोट माँगने आ जाता है, और भोली भाली जनता फिर ठग ली जाती है। सौदेबाज़ी की ख़ासियत यह होती है कि दलबदलू नेता जिस चुनाव चिन्ह से जीतकर आया था, उसे ही हराने में पूरी ताक़त झोंक देता है। विपक्षी नेता अचानक से सरकार बन जाता है, और सरकार जिससे हारी थी, उसे ही जिताने के लिए फिर जनता के सामने लोटने का अभिनय करने लगती है। मुझे आज भी ऐसा लगता है कि जिस दिन जनता ने सौदेबाज़ी और ख़रीद फ़रोख़्त को सिरे से ख़ारिज कर दिया, उसी दिन लोकतंत्र पवित्र हो जायेगा। जनता को यह समझना होगा कि सौदा केवल किसी पद या दल का नहीं, बल्कि उसके वोटों का हुआ है। मध्यप्रदेश के श्यौपुर जिले की विजयपुर विधानसभा की जनता के पास इस समय लोकतंत्र को पवित्र करने की ज़िम्मेदारी है। मैं मतदाताओं से अपील करता हूँ कि इस बार केवल विधायक चुनने के लिए नहीं, बल्कि दलबदल और सौदेबाज़ी रोकने के लिये मतदान करें। विजयपुर की जनता पूरे देश को यह संदेश दे कि वो धोखेबाज़ी के खिलाफ है। जनता न्याय के साथ है। जनता सत्य के साथ है।’
लोकतंत्र में सौदेबाज़ी एक विकार है, और जब केन्द्र में सत्तासीन दल ही राज्यों में ख़रीद फ़रोख़्त और सौदेबाज़ी का मूक समर्थक बन जाये, तब इसे रोकना लगभग नामुमकिन सा हो जाता है।
हमने मध्यप्रदेश, कर्नाटक, उत्तराखंड, महाराष्ट्र जैसे कई राज्यों के उदाहरण देखें हैं जब बीजेपी ने सत्ता…
— Kamal Nath (@OfficeOfKNath) November 4, 2024